छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा फसल उत्पादकता एवं फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई राजीव गांधी किसान न्याय योजना से राज्य में खेती-किसानी और गांवों से लेकर शहरों तक व्यापार व्यवसाय को बढ़ावा मिला है। इस योजना के तहत इनपुट सब्सिडी के रूप में किसानों को अब तक दी जा चुकी 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि की सीधी मदद से कोरोना संकट काल में भी छत्तीसगढ़ के बाजारों में रौनक बनी रही।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना से किसानों को मिली इनपुट सब्सिडी से न सिर्फ कृषि रकबे और फसल उत्पादन में वृद्धि हुई बल्कि खेती-किसानी से मायूस हो चुके किसानों के जीवन में एक नए जोश और नई ऊर्जा का संचार हुआ है। प्रदेश सरकार की नीतियों और किसानों के हित में लिए गए फैसलों का ही यह परिणाम है कि राज्य में खेती- किसानी और किसानों के जीवन में खुशहाली का एक नया दौर शुरु हुआ है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य में वर्ष 2018-19 में पंजीकृत धान का रकबा जो 25.60 लाख हेक्टेयर था, जो आज बढ़कर 30.18 लाख हेक्टेयर हो गया है। इसी अवधि में पंजीकृत किसानों की संख्या 16.92 लाख से बढ़कर 24.06 लाख के पार जा पहुची है।
राज्य में खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 में 80.30 लाख मीट्रिक टन, वर्ष 2019-20 में 83.94 लाख मीट्रिक टन, वर्ष 2020-21 में 92.06 लाख मीट्रिक टन रिकॉर्ड इस साल और टूटने जा रहा है। अभी धान खरीदी के पांच दिन बचे है और राज्य में 95 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है। 7 फरवरी तक होने वाली धान खरीदी के चलते यह आंकड़ा एक करोड़ मीट्रिक टन के पार पहुंच जाएगा।
उद्यानिकी फसलों की खरीदी शामिल
राजीव गांधी किसान न्याय योजना से राज्य में समृद्ध होती खेती-किसानी को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने अब इस योजना का दायरा बढ़ाकर इसमें खरीफ और उद्यानिकी की सभी प्रमुख फसल को शामिल कर लिया है। कोदो, कुटकी और रागी के उत्पादक किसानों को भी इस योजना के तहत प्रति एकड़ के मान से 9 हजार रुपये की सब्सिडी दिए जाने का प्रविधान किया गया है। धान के बदले अन्य फसलों की खेती या वृक्षारोपण करने वाले किसानों को 10 हजार रुपये प्रति एकड़ के मान से इनपुट सब्सिडी मिलेगी। वृक्षारोपण करने वाले किसानों को यह इनपुट सब्सिडी 3 वर्षों तक दी जाएगी।
सुराजी गांव योजना से मिली मजबूती
छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना और गोधन न्याय योजना ने भी राज्य में खेती-किसानी को काफी हद तक मजबूती दी है। नरवा विकास कार्यक्रम के चलते सिंचाई के लिए जल उपलब्धता बढ़ी है और दोहरी और नगदी फसलों का रकबा बढ़ा है। गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत गोबर की खरीदी और उससे बड़ी मात्रा में कम्पोस्ट उत्पादन से राज्य में जैविक खेती की ओर किसानों का रूझान बढ़ा है।
इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।
स्रोत: Nai Dunia