जुलाई की महीना किसानों के लिए बेहद खास होता है। इस महीने में धान की रोपाई की जाती है तथा उसे एक बच्चे की तरह देखभाल की जरूरत होती है। किसानों को इस महीने में कृषि वैज्ञानिकों की विशेष सलाह की जरूरत होती है, अपनी धान की फसल में कब और कितनी मात्रा में खाद या अन्य दवाई डालें, इसका विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।
बासमती धान की रोपाई एक से 17 जुलाई तक कर लें क्योंकि देर होने पर वटरा रोग लग जाता है। खाद की मात्रा मिट्टी जांच के आधार पर दें। बौनी और मध्यम अवधि वाली किस्मों के लिए प्रति एकड़ छह टन गोबर की खाद, 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट, 2.5 बोरा यूरिया, तीन बोरे सिंगल सुपर फासफेट तथा एक बोरा मयूरेट ऑफ पोटाश डालें तथा कम अवधि वाली किस्मों में यूरिया की मात्रा कम करके दो बोरे ही रखें।
जिंक, फासफोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा तथा 1/3 नाइट्रोजन लेव बनाते समय दें। यदि नाइट्रोजन लेव के साथ न दें सकें तो एक सप्ताह तक भी दे सकते हैं।
पौध एक इंच से गहरी न लगाएं
बौनी तथा अधिक पैदावार वाली या देर से लगाई फसलों के लिए 2-3 पौधे को एक जगह पर 6 × 8 इंच की दूरी पर लगाएं। लंबी किस्मों के लिए 6 × 8 इंच की दूरी रखें। पौध एक इंच से गहरी न लगाएं। सूत्र कृमि हो तो कार्बोपयूरोन (पयूराडान 3-जी) का प्रयोग करें। लेव बनाने से खरपतवार नियंत्रण हो जाता है।
यह हो तो 17-17 दिन बाद पैडीवीडर का प्रयोग करें। दानेदार दवाई को पौध रोपण के 2-3 दिन बाद तक दो इंच गहरे खड़े पानी में एक सार बिखेर दें तथा तरल दवाई को 60 किलोग्राम रेत में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें। रोपाई के बाद प्रति सप्ताह ताजा पानी भरें तथा एक बार में दो इंच से अधिक गहरा न हो।
धान को बार-बार पानी देकर गीला रखें। रोपाई के 10 दिन बाद जब पौधे जड़ पकड़ ले तो पानी रोक लें। भूमि ऊसर है तो मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार 1-2 भारी सिंचाई करें तथा पानी को दूसरे खेत में न जाने दें। पौध भी 30-40 दिन की हो, 3-4 पौधे इकट्ठे लगाएं तथा समय से एक सप्ताह पहले लगाएं।
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स्रोत: अमर उजाला