प्रदेश के किसानों का रुझान पिछले कुछ दशकों से बेमौसमी सब्जी उत्पादन की ओर लगातार बढ़ रहा है। गैर परंपरागत क्षेत्रों के किसान भी सब्जी उत्पादन को अपनी जीविका का साधन बना रहे हैं, लेकिन कई बार उन्हें छोटी-छोटी जानकारियां न होने के कारण असफलता हाथ लगती है। किसानों को सफल सब्जी उत्पादन के लिए जलवायु और ऋतु के अनुकूल किस्मों का चयन कर लेना चाहिए।
किसान रसीद लेना न भूलें। इसके अलावा उन्नत किस्मों व उच्च गुणवत्ता वाले बीज भरोसेमंद दुकानदारों से ही खरीदें। अच्छे उत्पादन के लिए प्रचुर मात्रा में गोबर की गली-सड़ी खाद को खेत की तैयारी से 15-20 दिन पहले मिलाएं, जिससे उत्पादन में तेजी आएगी। उर्वरकों की मात्रा जांच रिपोर्ट के अनुसार खेत तैयार करते समय खेत में मिलाएं। बीज को बीज शोधक रसायन से उपचारित करके ही बुआई करनी चाहिए।
दलहनी सब्जी फसलों मटर, फ्रांसबीन, लोबिया और मैथी आदि को जीवाणु टीके से अवश्य उपचारित करें। तेज धूप और बारिश से पौधशाला का बचाव छायादार नेट लगाकर करें। सिंचाई तेज धूप के समय न करें। रोपाई कार्य गर्मी और बारिश के मौसम में प्राय: शाम के समय करें। सर्दी के मौसम में दिन के समय भी कर सकते हैं। फल भूमि से लगकर खराब न हो इसके लिए पौधे को सहारा (ट्रेल) दें। वर्षा ऋतु में बेल वाली फसलों को सहारा (ट्रेल) देकर ऊपर चढ़ाएं। आपस में अनुकूलता के आधार पर ही दवाइयों को मिलाएं। हवा की दिशा को ध्यान में रखते हुए छिड़काव करें। दवाइयों का घोल प्लास्टिक के बर्तन में ही बनाएं।
इन तरीकों से भी बढ़ा सकते हैं उत्पादन
बैंगन में शीर्ष और फल छेदक और कद्दू वर्गीय सब्जियों में फल मक्खी के लिए फैरामोन ट्रेप अवश्य लगाएं, जिससे कीटनाशकों के छिड़काव में कमी की जा सकती है। तुड़ाई के पश्चात सब्जियों को छायादार और साफ जगह पर रखें और उनकी छंटाई कर ही पैकिंग करें। सब्जियों की धुलाई के लिए साफ पानी का इस्तेमाल करें। उत्पादन को जितना शीघ्र हो सके मंडी में पहुंचाने की व्यवस्था करें।
डॉ. विशाल डोगरा कृषि विवि पालमपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय में प्रधान वैज्ञानिक हैं। सब्जी विज्ञान में शोध और प्रसार का 23 साल का अनुभव है। पॉलीहाउस खेती में भी विशेष अनुभव रखते हैं।
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स्रोत: अमर उजाला