मोदी सरकार किसानों को एक और तोहफा देने वाली है. केंद्र सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में कुछ प्रमुख बदलाव करने की तैयारी कर रही है. इसके तहत सरकार का इरादा सभी किसानों के लिए फसल बीमा को स्वैच्छिक बनाने, ऊंचे प्रीमियम वाली फसलों को हटाना है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी. अधिकारी ने कहा कि लोगों के बीच से यह धारणा दूर करने को कि बीमा कंपनियां इस योजना से मुनाफा कमा रही हैं, कृषि मंत्रालय ने राज्य के स्तर के निवेश कोष का गठन करने और बचत को राष्ट्रीय स्तर के बीमा जोखिम में ट्रांसफर करने का प्रस्ताव किया है.
अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा यह भी सुझाव दिया गया है कि योजना के तहत किसी फसल के लिए सिंचाई क्षेत्र 50 फीसदी से अधिक होने पर कवरेज के लिए प्रीमियम की अधिकतम सीमा 25 फीसदी और फसल में सिंचाई क्षेत्र 50 फीसदी से कम है तो प्रीमियम की सीमा 30 फीसदी रखने का सुझाव दिया गया है. इसमें हर साल संशोधन की सिफारिश है.
2016 में शुरू की गई थी PMFBY
PMFBY अप्रैल, 2016 में शुरू की गई थी. इसमें ऐसे प्राकृतिक जोखिम जिन्हें रोका नहीं जा सकता है, से बचाव को बुवाई से पहले से लेकर कटाई के बाद तक की अवधि के लिए सबकुछ कवर करने वाला फसल बीमा उपलब्ध कराया जाता है. इसमें खरीफ फसल के लिए निचली 2 फीसदी की प्रीमियम दर लगती है. वहीं रबी फसल के लिए यह दर 1.5 फीसदी और कमर्शियल फसलों के लिए यह 5 फीसदी है.
अधिकारी ने कहा, PMFBY का यह सातवां सत्र है. इस योजना के लागू करने के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. मंत्रालय ने इस खामियों की पहचान की है और कई बदलावों का प्रस्ताव किया है. इस पर राज्य सरकारों से विचार मांगे गए हैं. मंत्रालय ने कई बदलावों का सुझाव दिया है इसमें कर्ज लेने वाले किसानों सहित सभी किसानों के लिए इस योजना को स्वैच्छिक बनाना भी शामिल है. अधिकारी ने कहा कि यह इसलिए किया जा रहा है कि कर्ज लेने वाले किसान के अनिवार्य नामांकन से असंतोष पैदा हो रहा है.इसके अलावा मंत्रालय ने फसल नुकसान के आकलन को दो स्तरीय प्रक्रिया का प्रस्ताव किया है.
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स्रोत: न्यूज़ 18 हिंदी