बारिश की खेंच के साथ पत्ती खाने वाली इल्ली और सफेद मक्खियों का संकट

July 30 2019

मध्यप्रदेश जिले में एक तरफ जहां सोयाबीन फसल की सेहत पर बारिश की खेंच असर डाल रही है तो दूसरी तरफ कीट व्याधियों ने भी दस्तक दे दी है। मौसम की गड़बड़ के चलते बन रही स्थिति से फसलों की बढ़वार पर असर पड़ रहा है। किसानों के समक्ष आई मुसीबत से उबारने के लिए कृषि वैज्ञानिक जिले में भ्रमण कर किसानों को सलाह दे रहे हैं।

जिले में इस बार देरी से ही सही लेकिन मानसून की दस्तक झमाझम बारिश के साथ हुई। शुरुआती दौर देखकर लोगों को सीजन में अच्छी बारिश की उम्मीद बंधी। अन्नदाताओं ने उत्साहपूर्वक करीबन दो लाख 80 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बोवनी कर दी। प्रस्तावित रकबे के शत-प्रतिशत क्षेत्र में हुई बुआई के दौरान दो लाख 73 हजार में तो सोयाबीन तथा शेष क्षेत्र में दलहन, मक्का व ज्वार लगाई गई। लेकिन अब तक का समय फसलों की सेहत को लेकर अच्छा नहीं रहा है, क्योंकि जुलाई समाप्त होने को है लेकिन अब तक बारिश की झड़ी का इंतजार लोगों को बना हुआ है। आसमान में प्रतिदिन बादल तो छा रहे हैं लेकिन बरसने में कंजूसी हो रही है। जलस्रोत खाली पड़े हुए हैं। माहौल में कभी नमी तो कभी उमस रह रही है। तापमान में भी उतार-चढ़ाव बना हुआ है। ऐसे में फसलों पर बारिश की खेंच का असर दिखाई दे रहा है। पानी की कमी से फसलों की सेहत पर असर पड़ रहा है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. मुकेश सिंह बताते हैं कि बारिश की खेंच से जहां सोयाबीन फसल पर सूखे की मार पड़ रही है वहां पर किसान भूमि की नमी को संरक्षित करने की कवायद करें। किसानों को चाहिए कि वह डोरा कुल्पा एवं मल्चिंग करें, वहीं पोटेशियम नाईट्रेट एक प्रतिशत या ग्लिसराल, मेगनेशियम कार्बोनेट पांच प्रतिशत का छिड़काव करें।

कीट व्याधियों का प्रकोप

बारिश की कमी के साथ ही सोयाबीन फसल पर इस समय कीट व्याधियों का भी संकट छा रहा है। तापमान में उतार-चढ़ाव के चलते वर्तमान में सोयाबीन पर पत्ती खाने वाली इल्ली तथा सफेद मक्खी की दस्तक दिखाई दी है। यह फसलों को नुकसान पहुंचा रही है। कृषि वैज्ञानिक डॉ सिंह ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किसानों को सलाह दी जा रही है कि बीटासायफ्लूथ्रीन और इमिडाक्लोप्रीड साढ़े तीन सौ मिलीलीटर प्रति हेक्टयर दवा का छिड़काव करें। सफेद मक्खी के चलते वर्तमान में कुछ जगह पीला मोजेक रोग भी सोयाबीन में दिखाई दे रहा है। इस रोग के लगने पर सोयाबीन फसल के पौधे पीले पड़ने लगे जाते हैं। डॉ. एके मिश्रा बताते हैं कि किसान यलो स्टीकी का प्रयोग करें, इसके कीट पर नियंत्रण कर सकते हैं। वहीं जिन पौधों पर यह रोग शुरुआत में दिखाई दें वह पौधे उखाड़ दें। यदि रोग ज्यादा तेजी से फैलता दिखे तो थायोमिथाक्सम 25 डब्लूयूजी 100 ग्राम प्रति पांच सौ लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें। वहीं किसी भी तरह की समस्या के हल के लिए कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें।

 

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।

स्रोत: नई दुनिया