केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का मानना है कि हरियाणा और पंजाब जैसे कृषि प्रधान राज्यों में कृषि की पावर और एनर्जी सेक्टर में विविधीकरण (डाइवर्सिटी) किसानों की दिशा व दशा बदल सकता है। उन्होंने दोनों राज्यों के किसानों से न केवल बदलाव के साथ खेती करने की उम्मीद जताई है। बल्कि किसानों को इस विविधीकरण से उत्पन्न होने वाले नए रोजगारों और अतिरिक्त आय के अवसरों की संभावनाओं से भी अवगत कराया है।
लुधियाना में बनाएंगे पराली से बायो सीएनजी, गडकरी बोले- पर्यावरण और किसानों का होगा फायदा
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अमर उजाला संवाद के दौरान संपादकों के साथ वेबिनार के जरिए बातचीत में कहा कि सरकार ने हरियाणा और पंजाब के किसानों के लिए भविष्य में कृषि आधारित महत्वपूर्ण संभावनाओं पर जोर दिया है। आज फूड ग्रेन (अन्न) का सरप्लस एक गंभीर समस्या है।
जबकि हरियाणा और पंजाब कृषि मामलों में सबसे समृद्ध राज्य माने जाते हैं। ऐसे में यहां किसानों को फसल विविधीकरण के साथ-साथ कृषि विविधीकरण के बारे में भी सोचना होगा। ऐसा संभव हुआ तो इन दोनों राज्यों के किसान न केवल और ज्यादा समृद्ध बनेंगे, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी अपनी अहम भूमिका निभाएंगे।
एथेनॉल इकोनॉमी को लेकर आगे बढ़ रही सरकार
गडकरी ने कहा कि दोनों राज्यों के किसानों को अपनी खेती अब पावर और एनर्जी सेक्टर की ओर मोड़नी होगी। दोनों राज्यों में धान, गेहूं व गन्ने का बहुत ज्यादा रकबा है। साथ ही अन्न के भंडार भी अगले तीन साल तक के लिए अनाज से भरे पड़े हैं। ऐसी में चावल, गन्ने की खोई और गन्ने के शीरे से किसानों को एथेनॉल (उच्च श्रेणी का ईधन) बनाने की ओर अग्रसर होना चाहिए।
उनके अनुसार सरकार आज देश में 20 हजार करोड़ की एथेनॉल इकोनॉमी को लेकर आगे बढ़ रही है। ऐसे में हरियाणा और पंजाब के किसानों को अपनी अतिरिक्त आय के लिए इस बारे में सोचना होगा। राज्य सरकारों को भी किसानों को इस तरफ जागरूक करते हुए अपने स्तर पर प्लानिंग करनी होगी।
दिल्ली से पानीपत तक चौड़ीकरण का काम होगा तेज, जालंधर से अजमेर तक बनेगा इंडस्ट्रियल कॉरिडोर
अतिरिक्त आय के लिए समझिए गडकरी का गणित
गडकरी ने कहा कि एक टन चावल से 400 लीटर एथेनॉल तैयार होता है। इसके लिए डिस्टलरी खोली जा सकती हैं। केंद्र सरकार एमएसएमई, एग्रीकल्चर व फूड एंड सिविल सप्लाई मंत्रालयों से बातचीत करके इस दिशा में काम भी कर रही है। हमारे पास चीनी का बहुत ज्यादा भंडार है।
हर साल 12 से 15 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी चीनी को एक्सपोर्ट करने में दी जाती है। यदि हम चीनी के उत्पादन की बजाए गन्ने से शीरा बनाकर रखें और उससे एथेनॉल तैयार करें तो किसानों को बहुत ज्यादा फायदा होगा। शीरे को भी कम से कम एक साल तक रखा जा सकता है। इसी तरह 5 टन पराली से एक टन सीएनजी तैयार होती है।
आय होगी और एक उद्योग भी तैयार होगा
गडकरी ने कहा कि हरियाणा और पंजाब दोनों ऐसे राज्य हैं, जहां सबसे ज्यादा फसल अवशेष जलाए जाते हैं। लेकिन किसान यदि पराली से सीएनजी तैयार करें तो न केवल उनकी आय बढ़ेगी। बल्कि 1500 से 2000 रुपये प्रति टन पराली बेचने वाले किसानों को भी फसल के अलावा अतिरिक्त आय होगी। इससे संबंधित अपने आप में एक उद्योग भी तैयार होगा।
इससे दोनों राज्यों में रोजगार बढ़ेगा, पेट्रोल और डीजल की खपत कम होगी और प्रदूषण कम करने में भी सहायता मिलेगी। केंद्रीय मंत्री के अनुसार, दोनों राज्यों में दूध का उत्पादन भी बहुत ज्यादा है जबकि एक रिसर्च कहती है कि चावलों से एथेनॉल बनने के बाद भी उसके पेस्ट में 17 प्रतिशत प्रोटीन होता है।
चावलों की इस पेस्ट का इस्तेमाल यदि मिल्क पाउडर में किया जाए तो न केवल मिल्क पाउडर का रेट कम हो सकता है, बल्कि इससे अतिरिक्त आय हो सकती है। गडकरी ने दोनों राज्यों के किसानों से आह्वान किया कि यदि वे अपने खेती के तरीकों में बदलाव लाते हैं तो न केवल गोदामों में पड़ा सरप्लस अनाज सड़ने से बच सकता है। बल्कि उनकी खेती उनकी आय को भी दोगुना करने में सहायक साबित हो सकती है।
इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।
स्रोत: Amar Ujala