ग्रीन ग्रास से जैविक खाद बनाकर दोगुनी फसल ले रहे किसान

June 15 2020

कोरोना संक्रमण के दौर में शुरू हुई खेती-किसानी में ग्रीन घास (सन, ढैंचा) से खाद बनाने का चलन बढ़ गया है। किसान कह रहे हैं कि यह खाद जैविक होती है। इससे उत्पादित अनाज की गुणवत्ता बढ़ जाती है, जो प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है। दुर्ग जिले में खेतों में इस समय ढैंचा उगा हुआ है। इसे लॉकडाउन के दौरान ही किसानों ने उगाया था। अब उसे खेत में ही ट्रैक्टर चलाकर मथाई कर दिया गया है। मानसून की बारिश के साथ पानी भरने के बाद इसमें धान की रोपाई की जाएगी। इससे उत्पादन बढ़ेगा। तमाम किसानों ने खाली खेतों में बेहन डालना भी शुरू कर दिया है।

अब तक आपने खेतों को उपजाऊ बनाने के लिए तरह-तरह के रासायनिक खादों का उपयोग करते सुना होगा। देखा भी होगा। लेकिन अब खेतों में ग्रीन ग्रास से खाद बनाया जा रहा है। इसे कोई भी फसल लेने के पहले 45 दिन तक खेतों में उगाया जाता है। इसके बाद इन पौधों को खेत में ही ट्रैक्टर चलाकर मथाई कर पानी भर दिया जाता है। दस से 12 दिन बाद ये पौधे पूरी तरह से सड़कर खाद के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं, जो पूरी तरह ऑर्गेनिक होती है। कृषि वैज्ञानिको के मुताबिक इस तरह के खेत में उपजी फसल कैंसर, शुगर, नपुंसकता, माहवारी में परेशानी, हृदय रोग, दिमागी की कमजोरी जैसी बीमारियों से बचाएगी।

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स्रोत: Nai Dunia