उत्तर प्रदेश और बिहार का आलू इस साल सब्जी मंडियों में जल्दी पहुंच गया है। इससे स्थानीय फसल को बेहद कम दाम मिलने से किसान निराश हैं। किसानों का कहना है कि उन्होंने आलू फसल की बिजाई के लिए 5600 रुपये प्रति क्विंटल बीज खरीदा था। शुरुआती दौर में उन्हें फसल 600 रुपये क्विंटल के हिसाब से बेचनी पड़ रही है। आने वाले समय में आलू के दाम और गिरने की संभावना जताई जा रही है।
ऊना जिले की सब्जी मंडियों में इस साल उत्तर प्रदेश और बिहार का आलू समय से पहले ही पहुंच गया है। इससे स्थानीय आलू की मांग कम हो गई है और इसके दाम गिर गए हैं। कोरोना महामारी के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में नौकरियां खो चुके बेरोजगारों ने शहरों से लौटकर गांवों में कृषि कारोबार को अपनाया है, लेकिन वे आलू फसल के उचित दाम नहीं मिलने से परेशान हैं।
विभागीय जानकारी के अनुसार ऊना जिले में 2076 हेक्टेयर भूमि में करीब 27500 मीट्रिक टन आलू की पैदावार होती है। जिले में 72 से 75 हजार परिवार कृषि कारोबार से जुड़े हैं। उधर, कृषि उपनिदेशक अतुल डोगरा ने कहा कि इस सीजन में आलू की पैदावार के मूल्य सामान्य मूल्यों के मुकाबले बहुत ही कम हैं। जिला ऊना में प्रतिवर्ष अरबों रुपयों की आलू की पैदावार होती है।
एक कनाल में लागत साढ़े 14 हजार रुपये
इस सीजन में आलू की फसल में 336 रुपये प्रति क्विंटल पर किसान को घाटा सहना पड़ेगा। एक कनाल भूमि में अधिक से अधिक 15 क्विंटल पैदावार होती है। इसकी लागत 9000 रुपये है। इसके लिए कनाल में 5600 रुपये क्विंटल बीज, तीन बार बुआई को 600, बिजाई को 400, उर्वरक (खाद, कीटनाशक दवाइयां) पर 4000, गुड़ाई पर 400, पटाई पर 1000, सिंचाई पर 1600, लदाई पर 150, ट्रैक्टर ढुलाई पर 300 सहित अन्य प्रति कनाल खर्च शामिल हैं।
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स्रोत: Amar Ujala