म्हारी बेटियां अब किसी भी क्षेत्र में कम नहीं। अब शायद ही कोई क्षेत्र बचा हो जहां इन्होंने धूम न मचाई हो। अब तो खेती बाड़ी में भी बेटियां आगे आने लगी। ऐसी शहर की राजधानी कालोनी में रहने वाली बेटी अक्षिता कांबोज है। जिसके परिवार का दूर दूर तक खेती बाड़ी से कोई नाता नहीं, फिर भी वह इसमें रुचि ले रही। दरअसल, अक्षिता दवा के कारोबारी संजीव कांबोज की बेटी है और मां शालिनी देवी गृहिणी है। अक्षिता ने दसवीं कक्षा स्प्रिंग फील्ड स्कूल से की है। मेडिकल संकाय से बारहवीं साइग्रेस अकादमी इंटरनेशनल देहरादून से की है।
पिता संजीव कांबोज ने बताया कि अक्षिता ने चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से बीएसएसी (एग्रीकल्चर) करने के बाद उसे ताइवान के ताइपाई स्थित नेशनल 4-एच क्लब एसोसिएशन ऑफ आरओसी में धान की फसल पर रिसर्च करने का मौका मिला है। अक्षिता दो जुलाई को इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चली गई। उन्होंने बताया कि इस दौरान वहां 10 अलग - अलग देशों से 21 डेलिगेट हिस्सा ले रहे हैं और 15 अगस्त तक वहां कार्यक्रम का हिस्सा रहेंगी। उन्होंने बताया कि भारत देश से अकेली अक्षिता को यह मौका मिला है जो धान की फसल की बारीकियां पर रिसर्च करेगी।
जानकारी कम थी फिर भी हौसला रहा पक्का
संजीव कांबोज ने बताते हैं कि अक्षिता को फसलों के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी। लेकिन जब वह बीएससी (एग्रीकल्चर) के साथ कर रही थी। तब उसे फसलों से रूबरू करवाया जाता था। जिसके बाद धीरे-धीरे उसकी रुचि फसलों में बढ़ने लगी और अब वह ताइपाई में धान की फसल पर रिसर्च करने गई है।
सम्मेलन के लिए इस तरह से किया आवेदन
संजीव कांबोज ने बताया कि मार्च - अप्रैल माह में इंडो इजराइल सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर सब ट्रॉपिकल लाडवा में बेटी अक्षिता की एक माह की ट्रेनिंग हुई। इस दौरान चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से ही 14 ट्रेनी थे। इस ट्रेनिंग में अक्षिता ने अच्छा काम कर दिखाया। जिससे वहां खूब सराहा गया।
इसके बाद वहां के डिप्टी डायरेक्टर (होर्टिकल्चर) डॉ. पवन शर्मा ने नेशनल 4 - एच क्लब एसोसिएशन ऑफ आरओसी का सदस्य बनने का सुझाव दिया। जिसके बारे में अक्षिता ने परिवार से बातचीत की। उसके बाद परिजनों ने ट्रेनिंग प्रबंधन से बातचीत की। वहां सुझाव पसंद आने के बार परिवार ने इसे स्वीकार कर लिया।
किस देश से कितने डेलिगेट
यूएसए 5
कनाडा 2
नार्वे 1
स्विट्जरलेंड 3
फिनलेंड 2
स्वीडन 1
जापान 2
थाइलेंड 2
इंडिया 1
फिलीपिंस 2
हर क्षेत्र को लक्ष्य बनाकर चलें
पिता संजीव कांबोज का कहना है कि अक्षिता की सोच ने चाहे कोई भी क्षेत्र हो उसे अपना लक्ष्य बनाकर चलें। सफलता जरूर मिलती है। वह ताइवान में वह एग्रीकल्चर पर तो शोध कर रही साथ ही वहां की कल्चर के बारे में भी जानने का मौका मिला है। और इसपर वह खरा उतर कर दिखाएगी।
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स्रोत: अमर उजाला