किसानों को अक्सर मांग या रसद की कमी के कारण स्थानीय बाज़ारों में कम कीमत पर फसल बेचने या खेतों में सड़ने देने की दुविधा का सामना करना पड़ता है, लेकिन छह राज्यों के लोगों को जल्द ही सुविधाओं के एक नेटवर्क तक पहुंच मिल सकती है, जिससे उन्हें अपनी उपज को दूसरे राज्यों में स्टोर करने और भेजने में मदद मिलेगी, जहां उन्हें बेहतर कीमत भी मिलेगी।
हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के अध्यक्ष आदित्य देवी लाल ने हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, गोवा, उत्तराखंड और असम के किसानों के लिए एक साझा मंच के लिए बातचीत शुरू की है। इसका उद्देश्य भाग लेने वाले राज्यों में किसानों को मुफ्त रहने, गोदाम की जगह और कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं प्रदान करना है। जहां उनकी फसलों की अधिक मांग है।विवार को चंडीगढ़ में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में आदित्य और पांच अन्य राज्यों के उनके समकक्षों ने इसके तौर-तरीकों पर चर्चा की।
हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जयप्रकाश दलाल ने दिप्रिंट को बताया कि विचार एक ऐसा मंच तैयार करने का है जिसका उपयोग किसान अपनी उपज के लिए लाभकारी मूल्य प्राप्त करने के लिए कर सकें। एक प्रेस नोट में पंजाब सरकार ने कहा कि मान ने किसानों को उपज के लाभकारी मूल्य के साथ-साथ उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर गुणवत्ता वाले उत्पादों की आपूर्ति के लिए अंतर-राज्य व्यापार को बढ़ावा देने की वकालत की।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सभी राज्यों को चीज़ें खरीदने और बेचने के लिए एक साझा मंच विकसित करने के लिए एकजुट होना चाहिए, उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं और किसानों के हितों की रक्षा के लिए यह समय की मांग है। विज्ञप्ति में कहा गया है, “भगवंत मान ने कहा कि इस ‘फार्म टू फोर्क’ (किसान से उपभोक्ता) दृष्टिकोण और सभी राज्यों के भीतर वस्तुओं की उपलब्धता से उपभोक्ताओं और किसानों को बड़े पैमाने पर लाभ होगा।” इसमें आगे कहा गया, “सीएम ने कहा कि किसानों को लाभ मिले यह सुनिश्चित करने के लिए इस दृष्टिकोण को अपनाना ज़रूरी है। कृषि आदानों की लगातार बढ़ती लागत और कम रिटर्न के कारण, कृषि अब एक लाभदायक उद्यम नहीं रह गई है।”