बकाया गन्ना मूल्य भुगतान समेत अन्य समस्याओं से जूझ रहे किसानों के सामने गेहूं बुवाई का संकट है। समय से गन्ना पर्चियां नहीं मिलने पर किसान खेत खाली नहीं कर पाए। जिस कारण बागपत जनपद में इस बार पंद्रह हजार हेक्टेयर गेहूं का रकबा घट गया है। उधर, राजकीय बीज भंडारों में बंद लाखों रुपये का गेहूं का बीज चूहों ने कुतरकर खराब कर दिया है। इससे कृषि विभाग के अधिकारी भी चिंतित हैं।
जिले के एक लाख, 25 हजार, 915 किसान बागपत समेत अन्य जिलों की 12 चीनी मिलों में गन्ने की सप्लाई करते हैं। इन पर किसानों के लगभग 73,128 लाख रुपये बकाया हैं। चीनी मिलों द्वारा किसानों को समय पर पर्चियां नहीं भेजी जा रही हैं। नतीजतन बागपत समेत अन्य जनपदों में गेहूं का रकबा घट गया है। इससे कृषि विभाग के अफसरों समेत किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं।
15 हजार हेक्टेयर गेंहू का रकबा घटा
जिला कृषि अधिकारी प्रशांत कुमार ने बताया कि गत वर्ष इस समय तक जनपद में लगभग 55 हजार हेक्टेयर गेहूं की बुवाई हो चुकी थी। इस वर्ष अब तक मात्र 40 हजार हेक्टेयर बुवाई की जा सकी है।
गेहूं बुवाई का उचित समय
राजकीय बीज भंडार पर तैनात एडीओ कृषि नरेश कुमार ने बताया कि गेहूं बुवाई का उचित समय नंवबर से लेकर दिसंबर तक है। इसके बाद बुवाई करने पर पैदावार प्रभावित होती है।
बीज की बर्बादी कर रहे चूहे
राजकीय बीज भंडार पर तैनात गोदाम इंचार्ज नोरंग के अनुसार जनपद में चूहों ने लगभग डेढ़ लाख रुपये का गेहूं का बीज कुतर बर्बाद कर दिया है। अन्य जनपदों में भी यही हाल है। क्योंकि पर्चियां कम आने की वजह से किसान गेहूं का बीज खरीदने नहीं आ रहे हैं। बताया कि शामली, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, सहारनपुर, बागपत व मेरठ में पांच से छह लाख रुपये का गेहूं का बीज बर्बाद कर चुके हैं।
अब तक पांच लाख क्विंटल गन्ने की पेराई कम
जनपद में संचालित मलकपुर, रमाला व बागपत चीनी मिलें अब तक करीब 80 लाख कुंतल गन्ने की पेराई कर चुकी हैं। पिछले साल जनवरी के पहले सप्ताह तक ये तीनों मिलों 85 लाख कुंतल से अधिक गन्ने की पेराई कर चुकी थीं। इस पेराई सत्र में अब तक मलकपुर चीनी मिल 39 लाख, रमाला 27 लाख व बागपत 14 लाख कुंतल गन्ने की पेराई कर चुकी हैं। यह गत वर्ष की तुलना में पांच लाख कुंतल कम हैं।
भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह प्रधान का कहना है कि सरकार को पेराई सत्र शुरू करने से पहले बकाया गन्ना मूल्य भुगतान और नियमित पर्चियां भेजने की व्यवस्था करनी चाहिए। इनमें प्रदेश सरकार विफल रही है। भुगतान व पर्चियां न मिलने से किसान परेशान हैं।
रालोद नेता सतेंद्र मलिक का कहना है कि जब से प्रदेश में योगी सरकार आई है, किसानों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। अब तक बकाया गन्ना मूल्य भुगतान की समस्या थी, अब पर्ची के लिए किसान तरस रहे हैं।
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स्रोत: Amar Ujala