खेती को लाभ का धंधा बनाकर महिलाएं तैयार कर रही है उत्पाद

January 08 2022

शहर में गरीबी उन्मूलन की दिशा में कई तरह की पहल की जा रही है। जिससे समाज का गरीब तबका उपर उठ रहा है। इस क्षेत्र में जितने सजग पुरुष नहीं हैं, उनसे ज्यादा तो महिला आगे हैं। महिला समूह के रूप में काम कर खुद और अपने आस-पास की महिलाओं की स्थिति बदलने में बहुत सराहनीय कार्य कर रही हैं। जिले के कई महिला समूह क्षेत्र की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए खेती से लेकर खुद विभिन्ना तरह के उत्पाद बना रही हैं। जिससे उनकी अच्छी आमदनी हो रही है।

जिले के ग्राम दुपाड़ियाभील की रहने वाली सुरभी शर्मा पति धर्मेंद्र शर्मा की कहानी भी कुछ ऐसी है। जिन्होंने खुद की और गांव की महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद की है। उनकी आर्थिक स्थति अत्यंत दयनीय थी। पति समय-समय पर आवश्यकतानुसार भाड़ा मिलने पर ही ड्रायवरी का कार्य करते थे। जिसमें 300 से 400 रुपये मिलते थे। काम नहीं मिलने पर वो घर पर ही रहते थे। जैसे-तैसे घर का गुजारा होता था, ग्राम के अन्य समूह सदस्यों द्वारा समूह में जुड़ने के लिए कई बार कहा गया, परन्तु उन्होंने रूची नहीं ली, क्योंकि ग्राम में प्राइवेट सूमह आसानी से ज्यादा व जल्दी ऋण देते थे। परन्तु एक बार प्रायवेट समूह की बैठक के समय ही गांव में पूर्व से निर्मित समूह की दीदियां आ गई और उन्होंने प्राइवेट और सरकारी समूह के लाभ-हानी से अवगत कराया। उस समय ऐसा लगा कि हम अपना कितना बड़ा नुकसान कर रहे हैं, तुरंत आजीविका मिशन के समूह में जुड़ने का निर्णय लिया और यहां से मेरी जिंदगी के सफर के रास्ते व मायने दोनों ही बदल गए। जिसके बाद दूसरी महिलाओं को भी अपने साथ जोड़कर काम करने के लिए प्रेरित किया।

सुरभी शर्मा खेती किसानी में रूची होने के कारण कृषि सखी का प्रषिक्षण प्राप्त कर छह ग्रामों के लगभग 250-300 कृषकों पर कार्य किया। 14 से 15 महिला व वृद्वजनों, दिव्यांगजनों के स्वय सहायता समूह का गठन किया और गांव में सीआरपी के कार्यों की जिम्मेदारी भी सम्हाली गांव में संचालित सभी छह समूहों के साथ बैठक करना व समूहों के नियमों को बताना सुरभी की दिनचर्या में आ गया था। फिर उपार्जन के कार्य के लिए सक्षम समूह की आवश्यकता होने पर सुरभी ने गांव से बाहर निकल कर उपार्जन का कार्य संभाला जिसमें 17.50 क्विंटल गेहूं की तुलाई की। जिससे ग्राम संगठन को लगभग दो लाख का मुनाफा हुआ। यहां से सुरभी को एक नई उड़ान मिली और उसकी आय से परिवार का खर्च चलने लगा सुरभी का साथ पाकर पति अब मुनाफे पर कृषि करने लगे। सीआइएफ से ऋण लेकर तथा कुछ पूंजी स्वयं की लगाकर पुराना ट्रैक्टर खरीदा व किराए से बटाई के लिए देने लगे। प्रोडयूसर कंपनी में चेयरमेन के पद पर चयन हुआ जिससे सुरभी में और भी अधिक हौसला आ गया। आजीविका मिषन के सहयोग से सुरभी के समूह को खादी ग्राम उद्योग विभाग द्वारा चार लाख 90 हजार रुपये 35 फीसद सब्सिडी का ऋण दाल मिल के लिए दिया, जिससे निर्मित दाल पीजी ग्रुप के माध्यम से महिला किसान क्राप प्रोड्यूसर कंपनी द्वारा विक्रय की जा रही है। इस प्रकार ग्राम की 10 से 12 महिलाओं को रोजगार प्राप्त हुआ। अब सुरभी के बच्चे प्रायवेट स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। सुरभी गांव की अनेक महिलाओ की आदर्ष बन गई है।

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स्रोत: Nai Dunia