खेती-किसानी के लिए कई घोषणाएं, गंगा किनारे जैविक खेती से आत्मनिर्भर होंगे किसान

February 02 2022

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को आम बजट में खेती-किसानी के लिए कई अहम घोषणाएं की हैं। हरिद्वार के क्षेत्रीय किसानों के मुताबिक योजनाएं अच्छी और दीर्घकालिक हैं। गंगा किनारे जैविक खेती को बढ़ावा मिलने से किसान आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होंगे। जानकारी के मुताबिक हरिद्वार जिले के घाड़ क्षेत्र में गंगा किनारे काफी अधिक खेती होती है। जैविक खेती को प्रोत्साहन मिलने से किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकेंगे।

सरकार को योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन करना चाहिए। सरकार की कई योजनाएं कागजों में दम तोड़ देती हैं। किसानों को उनका लाभ तक नहीं मिल पाता है। किसानों का कहना है कि योजनाएं किसानों के लिए तभी फायदेमंद होगी जब उन्हें पारदर्शिता से क्रियान्वित किया जाए। 

वर्ष 2023 को मोटा अनाज वर्ष घोषित करना सराहनीय कदम है। 163 लाख किसानों से 1208 मीट्रिक टन गेहूं और धान खरीदने की योजना है। इसका सीधा लाभ हरिद्वार के किसानों को मिलेगा। क्षेत्र में बड़ी संख्या में गेहूं और धान की खेती होती है। सरकारी खरीद की व्यवस्था सही नहीं होने से किसान नुकसान झेलते हैं। सरकारी खरीद केंद्रों पर तरह-तरह के बहाने बनाकर किसानों को टरका दिया जाता है। इस व्यवस्था को सही किए जाने की जरूरत है-राकेश चौधरी, हजारा ग्रंट

एमएसपी मूल्य का भुगतान सीधे किसानों के खाते में आने से किसान सरकारी तंत्र के मकड़जाल से बाहर निकल पाएंगे। इससे कमीशनखोरी और चोर बाजारी रुकेगी। लेकिन साथ ही सरकार को यह व्यवस्था भी बनानी चाहिए कि सभी किसानों की फसलें एमएसपी पर खरीदी जा सके। अगर किसान की फसल खरीदी ही नहीं जाएगी तो फिर उसके खाते में एमएसपी कहां से आएगी- मुनफेत, बेलड़ा गांव

खेती में रासायनिक उवरर्कों पर निर्भरता को कम करने और जैविक खेती को बढ़ावा देना देश के भविष्य के लिए अच्छा कदम है। धनौरी क्षेत्र में बड़ी संख्या में गुड़ कोल्हू हैं। केमिकल मुक्त ऑर्गेनिक गुड़ को बढ़ावा दिया जाएगा तो क्षेत्र के गुड़ उद्योग को अलग पहचान मिल सकती है। यहां का गुड़ पूरे उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में अपनी पहुंच बना सकता है- तालिब, जस्ववाला

विश्वविद्यालयों में कृषि पाठ्यक्रमों में बदलाव करने की केंद्र सरकार की योजना काफी उपयोगी साबित हो सकती है। अभी तक कृषि पाठ्यक्रमों में केवल कागजी ज्ञान दिया जाता है। छात्र छात्राओं को प्रयोगात्मक ज्ञान किसानों के बीच जाकर मिल सकता है। ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि बाद के एक सेमेस्टर में छात्र-छात्राएं सीधे किसानों के बीच रहकर अपनी अप्रेंटिस करें- संदीप, कोटा मुराद नगर

हरिद्वार में गंगा नदी के आसपास काफी खेती होती है। नदी किनारे पांच किमी चौड़े गलियारों में जैविक खेती उत्पादन होने से किसानों की आमदनी बढ़ेगी। लागत कम लगेगी और बाजार मूल्य बेहतर मिलेगा। इससे गोवंश भी संरक्षित होगा। जैविक खेती का मुख्य आधार देसी गाय और मवेशी हैं। जिसके गोबर से खेती में खाद और कीटनाशक के तौर पर प्रयोग होगा। इससे पशुपालन के प्रति भी लोगों का रूझान बढ़ेगा- अर्पित, तेलीवाला

खेती में होने वाला खर्च किसानों की कमर तोड़ देता है। किसान कर्ज के बोझ तले दबा रहता है। जीरो बजट कृषि को बढ़ावा मिलने से यह किसानों के लिए वरदान साबित होगा। जीरो बजट खेती से किसान अपनी आर्थिकी सुधार सकते हैं। बशर्ते कि किसानों को ऑर्गेनिक फसलों के लिए बाजार मुहैया कराया जाए- गौरव, धनौरा

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स्रोत: Amar Ujala