इफको या इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (IFFCO), जोकि विश्व का सबसे बड़ा उर्वरक सहकारिता संस्था है, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और टेक्निकल इंस्टीट्यूट के साथ टेक्निकल कोलब्रेशन से देशभर में ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके नैनो उर्वरकों जैसे- नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के उपयोग को बढ़ावा देने की योजना बना रहा है।इसी क्रम में DRONAI, एक इंटीग्रेटेड प्रोग्राम शुरू किया है जो ड्रोन, नैनो, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मोबाइल टेक्नोलॉजी को मिलाकर नैनो उर्वरकों और अन्य एग्रो केमिकल्स के उपयोग को बढ़ावा देता है। किसान अपने मोबाइल ऐप के माध्यम से इन एडवांस टेक्नोलॉजी का उपयोग कर सकते हैं जो छिड़काव को कुशल, लागत प्रभावी और सुरक्षित बनाती हैं।स्प्रेइंग करते समय, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित सॉफ्टवेयर फसल की वृद्धि और स्वास्थ्य का पता लगा सकता है और किसानों को स्मार्ट खेती की ओर मार्गदर्शन कर सकता है।DRONAI कार्यक्रम का मुख्य फोकस एक सफल ड्रोन स्प्रेइंग सिस्टम का निर्माण करना, ग्रामीण युवाओं/किसानों के साथ तालमेल बैठाकर सिस्टम को संचालित करना और उन्हें एडवांस टेक्नोलॉजी के बारे में बताना है जो अंत में ग्रामीण व्यवसाय को बढ़ावा देगा। DRONAI का ट्रायल मॉड्यूल इफको द्वारा टीएनएयू के टेक्निकल कोलब्रेशन से 2 मई को कृषि अनुसंधान केंद्र, तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (टीएनएयू), कोयम्बटूर, भारत में लॉन्च किया गया था।
- DRONAI कृषि में प्रभावी रूप से ड्रोन टेक्नोलॉजी की निगरानी और मार्गदर्शन करने में मदद करता है और किसानों को कम लागत पर बड़े क्षेत्रों में सुरक्षित रूप से नैनो फर्टिलाइजर और एग्रो केमिकल के छिड़काव को बढ़ावा देता है।
- किसानों के खेतों तक ड्रोन के सुरक्षित परिवहन के लिए एक इलेक्ट्रिक तिपहिया विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।
- एक इंटीग्रेटेड सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म जो किसी भी मोबाइल के द्वारा चल सकता है, किसानों के लिए उपलब्ध होगा जो सभी उपयोगकर्ताओं (ड्रोन ऑपरेटर, किसान, क्षेत्र अधिकारी और केंद्रीय नियंत्रण इकाई) को जोड़ेगा।
- यह उड़ते हुए ड्रोन की निगरानी करने और दूर से स्प्रे कैपसिटी (एकड़/दिन) की निगरानी करने में मदद करेगा।
- DRONAI टेक्नोलॉजी के माध्यम से, समय बचाने और एग्रो केमिकल्स के मैन्युअल स्प्रे से जुड़े कठिन परिश्रम और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचने के अलावा, किसानों की छिड़काव लागत 50 प्रतिशत तक कम हो जाएगी।