प्याज: एक हफ्ते में 45 फीसदी बढ़े दाम, चार देशों से आयात करेगी सरकार

November 07 2019

देश में प्याज के दाम बढ़ते ही जा रहे हैं। महाराष्ट्र के लासलगांव स्थित प्याज की सबसे बड़ी मंडी में इसकी कीमतों में जोरदार उछाल आया है। हालांकि सरकार ने लगातार बढ़ती आपूर्ति की वजह से दामों में गिरावट को लेकर भरोसा जताया था। लेकिन इसके महज दो दिन बाद यानी सोमवार को लासलगांव मंडी में प्याज की कीमतें 10 फीसदी बढ़ गईं।

सरकार ने बुधवार को आनन-फानन में घरेलू बाजार में प्याज की आपूर्ति सुधार के लिए धूम्र-उपचार (फ्यूमिगेशन) सहित खई नियमों को 30 नवंबर तक लचीला करने का एलान किया है। इसके साथ ही चार देशों अफगानिस्तान, इजिप्ट, तुर्की और ईरान से आयात करने का फैसला लिया गया।

इसी बीच सरकार द्वारा पहले से मंगाई गई 2,500 टन प्याज की पहली खेप 12 नवंबर को भारत पहुंच जाएगी। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि सरकार हर संभव कोशिश कर रही है और नवंबर के अंत तक या दिसंबर की शुरुआत में कीमतें घट सकती हैं।

उपभोक्ता मामलों के सचिव अविनाश के. श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समिति की बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया। इस बैठक में देश में प्याज की कीमतों और उपलब्धता की समीक्षा की गई। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में प्याज का खुदरा मूल्य मंगलवार को 80 रुपये किलो था, जबकि चेन्नई में 70 रुपये किलो और मुंबई में 50 रुपये किलो था।

एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, ‘बाजार में प्याज की महंगाई के चलते कृषि मंत्रालय ने धूम्र-उपचार सहित कई नियमों को 30 नवंबर तक के लिए लचीला करने का फैसला लिया है।’

उपभोक्ता मामलों के सचिव ने विदेश सचिव को पत्र लिखकर उनसे ईरान, अफगानिस्तान, मिस्र और तुर्की स्थित राजनयिकों से बात कर उनके देशों से प्याज का निर्यात सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। 

केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने माना कि घरेलू उत्पादन में कमी से खुदरा बाजार में प्याज 30-40 फीसदी महंगी 80 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई। उन्होंने कहा कि सरकार कीमतों को थामने के लिए हर संभव कदम उठा रही है।

पासवान ने शीर्ष अधिकारियों के साथ प्याज की मांग, आपूर्ति और कीमतों की समीक्षा की। पासवान ने कहा, ‘मानसून में देरी के चलते खरीफ सत्र में प्याज की बुआई में देरी हुई। वहीं कई राज्यों बाढ़ के चलते प्याज की फसल को नुकसान हुआ है।’

एक हफ्ते में 45 फीसदी बढ़े दाम

दिल्ली में पिछले एक हफ्ते में प्याज का खुदरा मूल्य 45 प्रतिशत बढ़कर 80 रुपये किलो पहुंच गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, एक अक्टूबर को प्याज का भाव 55 रुपये किलो था। आकंड़ों के मुताबिक प्याज की कीमतों में पिछले साल की तुलना में करीब तीन गुना वृद्धि हुई है। नवंबर 2018 में खुदरा बाजार में प्याज का भाव 30-35 रुपये किलो था। अधिकारी ने कहा कि निजी व्यापारियों ने सरकार को बताया कि आयातित प्याज के 80 कंटेनर भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच चुके हैं और 100 कंटेनरों को समुद्री मार्ग से भारत भेजा जा सकता है।

सरकार ने की बैठक

केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने प्याज की कीमतों में तेजी आने के बाद बुधवार को उच्च अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में प्याज को आयात करने पर भी बातचीत की गई। सरकार ने कहा है कि वो प्याज की कीमतों में कमी लाने के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए जल्द फैसला लेगी। इस बैठक में उपभोक्ता मामलों के सचिव एके श्रीवास्तव और खाद्य सचिव रविकांत मौजूद थे। 

इतनी बढ़ी प्याज की कीमत

प्याज की बढ़ती कीमतों की वजह से जनता परेशान है। सोमवार को प्याज का थोक मूल्य 55.50 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है। यह चार साल का शीर्ष स्तर है। इससे पहले अगस्त की शुरुआत में इसकी कीमत 13 रुपये थी। खुदरा में प्याज की कीमत 20 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 80 रुपये हो चुकी है।

120 रुपये प्रति किलो हो सकती है प्याज की कीमत 

प्याज का दाम जल्दी ही 120 रुपये के स्तर को छू सकता है। खुदरा बाजारों में प्याज की कीमत 70 से 80 रुपये के बीच चल रही है। बात अगर पिछले तीन माह की करें, तो इस अवधि में थोक बिक्री में प्याज के दामों में चार गुना का इजाफ देखा गया है। 

इसलिए बढ़ी कीमत

इस संदर्भ में कारोबारियों का कहना है कि बीते वर्ष प्याज का बहुत कम उत्पादन हुआ था। इसलिए इसमें बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। बेमौसम बारिश की वजह से प्याज की फसल प्रभावित हुई है। इसके अतिरिक्त कारोबारियों ने सरकार की प्रतिकूल नीतियों को इसका जिम्मेदार ठहराया है।

वहीं लासलगांव की कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के अध्यक्ष जयदत्त होल्कर ने कहा है कि अक्तूबर और नवंबर में बेमौसम वर्ष हुई है, जिसकी वजह से खरीफ में बोई गई फसलों को नुकसान हुआ है। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक सहित दक्षिण भारतीय राज्यों में बोई गई शुरुआती किस्म की प्याज आवक को नुकसान पहुंचा है। यही कारण है, जिसकी वजह से बाजार में नई किस्म की प्याज आपूर्ति वहीं है। 

 

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स्रोत: अमर उजाला