इन दिनों सदाबहार फल पौधों मुख्य रूप से नींबू प्रजाति फल, अमरूद, लीची, आम, अनार आदि का पौधरोपण कार्य चल रहा है। इनके बगीचों की स्थापना के लिए स्थान के चयन, रेखांकन के बाद गड्ढे बनाने का काम जल्द पूरा किया जाना चाहिए। समय पर इसमें डाले जाने वाले उर्वरक और खाद को मिट्टी में मिलाकर इनका उचित रोपण करें। ये काम पौधा रोपित करने के बाद नहीं किए जा सकते हैं। इसलिए गड्ढा बनाने का काम शीघ्र पूरा करना चाहिए। पौधा लगाते समय अगर किसी प्रकार की कोई कमी रह जाती है तो बगीचों के संपूर्ण जीवनकाल में इस कमी को पूरा नहीं किया जा सकता है।
मध्यम सख्त भूमि पर एक बाई एक बाई एक और उपजाऊ तथा नरम भूमि हो तो 60 गुणा 60 गुणा 60 सेंटीमीटर का गड्ढा तैयार किया जा सकता है। गड्ढा खोदते समय गड्ढे की ऊपरी और निचली सतह की मिट्टी अलग-अलग रख लेनी चाहिए। गड्ढे को दो से चार सप्ताह तक खुला रखना चाहिए, जिससे इसमें मौजूद विषाणु सूर्य की रोशनी से नष्ट हो सकें।
गड्ढा भरने से पहले मिट्टी में 50 किलो गोबर की सड़ी-गली खाद, 100 ग्राम सुपर फास्फेट और 100 ग्राम पोटाश को अच्छी तरह से मिला लेना चाहिए। इसके अलावा मिट्टी में प्रति गड्ढा प्रति गड्ढा 250 ग्राम फेनवैलरेट या मिथाईल पैराथियॉन का पाउडर डाल लेना चाहिए। गड्ढा भरते समय ऊपरी सतह वाली मिट्टी डालें और फिर उसके बाद नीचे वाली मिट्टी भरें। मिट्टी को अच्छी तरह से दबा दें, ताकि कोई जगह खाली नहीं रहे।
गड्ढा भरते समय इसकी ऊपरी सतह जमीन से 15 सेंटीमीटर ऊपर रहनी चाहिए। अगर टपक सिंचाई से ड्रिपर मिट्टी के नीचे दिए जाने हों तो उनके लिए गड्ढा भरते समय ही 3.0 से 5.0 सेंटीमीटर मोटाई की ट्यूब के पीस गड्ढे में डालें। गड्ढे को भरने के बाद इसमें सिंचाई कर देनी चाहिए। गड्ढा बनाने और इसे भरने की प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य पौधे की जड़ों की बढ़ोतरी के लिए उचित वातावरण प्रदान करना होता है।
मिट्टी की जांच भी करवा लें। अगर जांच के लिए नमूने पहले न लिए गए हों तो गड्ढा भरने से पहले इनके किनारों के ऊपरी 15 से 30 सेंटीमीटर की मिट्टी को झाड़कर ये नमूने लिए जा सकते हैं। सूत्रकृमि के लिए भी मिट्टी की जांच कर लेना लाभप्रद रहता है। बगीचा लगाने के लिए स्वस्थ और रोगरहित पौधों का ही चयन करें। पौधे केवल पंजीकृत प्रयोगशाला से ही प्राप्त करें। - डा. देवेंद्र ठाकुर, विषय विशेषज्ञ उद्यान, उद्यान निदेशालय, शिमला
डॉ. देवेंद्र ठाकुर हिमाचल प्रदेश बागवानी निदेशालय में विभिन्न उद्यान परियोजनाओं पर काम रहे हैं। हिमाचल प्रदेश उपोष्ण कटिबंधीय फलों की नई परियोजना तैयार करवाने में अहम भूमिका रही है। हिमाचल पुष्प क्रांति योजना का खाका तैयार करने में भी रोल रहा है। वह हिमाचल प्रदेश बागवानी सेवाएं अधिकारी संघ के अध्यक्ष भी हैं। मूल रूप से बिलासपुर जिले के घुमारवीं तहसील के निवासी हैं।
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स्रोत: अमर उजाला