कृषि यंत्रों ने घटाई मवेशियों की मांग, चारा के लिए भटकने को हुए मजबूर

March 22 2019

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के डेयरी परियोजना विभाग की नीलामी में सिर्फ गाय, बछिया, भैंस के खरीदार पहुंचे। इससे विभाग में लगभग 20 बछवा बच गए। अधिकारियों को पूरी उम्मीद थी कि बोली में सभी मवेशी बिक जाएंगे। कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो कृषि यंत्रों ने मवेशियों की मांग को घटा दिया है। अब कोई भी किसान बैल पालना नहीं चाहता। अच्छे रकबा वाले किसान भी सिर्फ गाय, भैंस का पालन करते हैं।

खेती यांत्रिक औजार पर

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि छोटे रकबा वाले किसान हो या बड़े रकबा वाले, सभी की खेती मौजूदा समय में यांत्रिक औजारों पर आधारित हो गई है। इससे किसान बैंल की खरीदी करना उचित नहीं समझते। किसान चाहे छोटा हो या बड़ा, वह ट्रैक्टर, आधुनिक औजार पर निर्भर हो गया है। पहले खेती के लिए बैल का ही उपयोग होता था, जिससे सभी किसानों के घर मवेशी होते थे। अब गिने-चुने लोगों के यहां मवेशी हैं। जिनके यहां है वे भी इन्हें खुले में छोड़ देते हैं। बेसहारा मवेशी यहां-वहां घूमते रहते हैं।

बछिया की खरीदारी अधिक

विभाग में मवेशियों की ब्रिकी इस बार बोली प्रक्रिया से की गई। बछवा की अपेक्षा बछिया लोग अधिक खरीदे। बछवा की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। लोगों की मंशा बछिया, पड़िया, भैंस खरीदने की अधिक रहती है, क्योंकि इन मवेशियों से दूध मिलता है।

 

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स्रोत: नई दुनिया