पराली से धुआं नहीं अब बिजली बनेगी

October 17 2019

केंद्र सरकार का मानना है कि नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) की योजना पर ठीक से अमल हो गया तो आने वाले कुछ वर्षों में दिल्ली व एनसीआर को पराली के धुएं से निजात मिल जाएगी। केंद्रीय वन और पर्यावरण सचिव सीके मिश्रा के अनुसार एनटीपीसी की पराली से बिजली बनाने की योजना के अच्छे परिणाम शीघ्र दिखने लगेंगे।

हरियाणा और पंजाब में इन दिनों जलाई जा रही पराली के धुएं से दिल्ली समेत एनसीआर की आबोहवा बेहद खराब हो चुकी है। पराली को ठिकाने लगाने के लिए एनटीपीसी समेत कई निजी कंपनियों ने इससे बिजली बनाने की योजना शुरू की। एनटीपीसी ने दिल्ली-एससीआर समेत अपने सभी प्लांटों में इसके लिए संयंत्र भी लगाए हैं। सीके मिश्रा ने दैनिक ट्रिब्यून से कहा कि इस साल एनटीपीसी योजना के सुखद नतीजे आएंगे। दरअसल, एनटीपीसी की इस योजना में एक बड़ी बाधा ट्रांसपोर्ट की है। पराली और अन्य कृषि अवशेषों से बनी पेलेट्स से बिजली बनाई जाती है। पराली के गठ्ठों को एनटीपीसी के प्लांट तक ले जाने में ट्रांसपोर्ट खर्च ज्यादा आता है, इसीलिए किसान इसमें ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। एनटीपीसी अपने सभी 21 पावर प्लांट्स में पराली से बिजली बनाने की योजना बनाई है। अभी एनटीपीसी सालाना 19,400 टन पराली व अन्य कृषि अवशेष का उपयोग कर सकेगी। देश में हर साल लगभग 15.4 करोड़ टन कृषि अवशेष पैदा होता है। इससे 30 हजार मेगावाट बिजली पैदा हो सकती है। पराली को काटने के लिए लगाई मशीनें भी नाकाफी हैं। अभी तक पंजाब और हरियाणा में 18 हजार मशीनें ही लगाई जा सकी हैं, जबकि जरूरत इससे बहुत ज्यादा है।

 

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स्रोत: दैनिक ट्रिब्यून