गन्ने की पत्तियों का रस चूसने लगा है पायरीला, परजीवी से ही संभव होगा नियंत्रण, जानिए कैसे

August 06 2019

मौसम में बदलाव के चलते हरियाणा के पलवल जिला व पश्चिम उत्तरप्रदेश के कुछ इलाके में गन्ने की फसल में पायरीला (अल) कीट का असर शुरू हुआ है। अनुसंधान वैज्ञानिक का कहना है कि यह कीट मौसम की परिस्थिति अनुसार फसलों में लगता ही है। इसके लिए किसानों को सजग रहना चाहिए। विशेष ध्यान रखने की बात है कि इसके नियंत्रण के लिए किसी रसायनिक दवा के इस्तेमाल की जरूरत नहीं। कुदरती तौर पर खेत में पाया जाने वाला परजीवी इपीरिकेनियामिलेनोल्यूका इसे नियंत्रण कर लेता है। किसानों को चाहिए कि वह खेत में रसायन न डालें अन्यथा परजीवी खत्म होने पर पायरीला प्रभावी हो जाता है।

रोग के लक्षण

गन्ना प्रजनन संस्थान क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र करनाल के प्रधान वैज्ञानिक कीट विज्ञान डा. एसके पांडे ने बताया कि पायरीला कीट तिकोने आकार का भूरे रंग का होता है। यह पत्तियों पर उछलता-कूदता रहता है और झुंड में पाया जाता है। इसके शिशु सफेद रंग के होते हैं उनमे दो पूंछ पाई जाती हैं। इनकी संख्या काफी होती है। प्रौढ़ व शिशु दोनों ही पत्तियों से रस चूसते हैं। उसके बाद एक तरह का मधुस्राव करते हैं। जिससे पत्तियां पीली पड़ती हैं। पत्तियों पर ब्लैक मोल्ड फंफूद बन जाता है। पत्तियों में पाए जाने वाले वातरंद्र बंद हो जाते हैं और भोजन बनाने की प्रक्रिया बंद होने से पौधे कमजोर हो जाते हैं। इनके भयंकर आक्रमण से चीनी उत्पादन में कमी आती है।

नियंत्रण के उपाय

डा. पांडे का कहना है पायरीला का परजीवी जैविक नियंत्रण में सक्षम है। पायरीला पर कभी दवा नहीं डालें। दवा से परजीवी मर जाते हैं। पायरीला दवा से कंट्रोल नहीं होता। परजीवी से स्थाई नियंत्रण हो जाता है। चूंकि इन दिनों गन्ने की बढ़वार हो जाती है इसलि दवा का छिड़काव भी संभव नहीं है। चीनी मिलों की प्रयोगशालाओं में तैयार किए परजीवी प्राप्त किए जा सकते हैं।

 

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स्रोत: अमर उजाला