खुशखबर ! अब यूपी के इस जिले में होगी कश्मीर और हिमाचल के सेब की बागवानी

August 12 2019

परंपरागत बागवानी की आमदनी से असंतुष्ट सहारनपुर जनपद के कुछ किसान कृषि विविधिकरण अपना रहे हैं। आम, अमरूद और लीची के लिए प्रख्यात सहारनपुर जनपद के दो प्रगतिशील किसानों ने प्रयोग के तौर पर सेब की बागवानी शुरू कर दी है। 

इनमें से एक बागवान के यहां सेब का उत्पादन भी शुरू हो गया है। यदि यह प्रयोग सफल रहा तो जनपद में बागवानी की तस्वीर बदल सकती है। क्योंकि यहां का सेब कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के सेब से पहले जून के आखिर तक तैयार हो जाता है, जिससे बाजार में इसकी अच्छी मांग रहती है। 

आमतौर पर सेब को पहाड़ी जलवायु का फल माना जाता रहा है, लेकिन कुछ प्रगतिशील बागवान इसे प्रयोग के तौर पर मैदानी इलाके में भी लगा रहे हैं। जनपद के गांव तीतरो के प्रगतिशील बागवान राजकुमार चौधरी और नानौता के शहंशाह आलम ने अपने यहां सेब का बाग लगाकर बागवानी के क्षेत्र में एक नए अध्याय की शुरूआत की है। 

राजकुमार चौधरी ने दो वर्ष पहले सात बीघा में अन्ना और हरमन-99 प्रजाति के सेब की रोपाई की। इस बार प्रति पौधा करीब 150 ग्राम वजन के 30 से 40 सेब आए।

उन्होंने बताया कि अनुमान है कि 10 वर्ष के पेड़ पर 30 से 40 किलो तक सेब आ सकते हैं। यह सेब कश्मीर और हिमाचल से पहले तैयार हो जाता है। यदि प्रयोग सफल रहा तो यह आम और लीची के बागवानों के लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। 

बागवान शहंशाह आलम ने बताया कि उन्होंने गत वर्ष सेब के 200 पौधे लगाए थे। तीन वर्ष में इन पर फल आना शुरू हो जाएगा। जिला उद्यान अधिकारी अरुण कुमार ने बताया कि जनपद में सेब की बागवानी हो सकती है। कुछ बागवानों ने सेब की बागवानी शुरू की है। यदि उनके प्रयोग सफल रहते हैं तो इसके रकबे में काफी बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।

मैदानी क्षेत्र के लिए उपयुक्त सेब की प्रजातियां 

जिला उद्यान अधिकारी अरुण कुमार ने बताया कि जनपद की जलवायु में सेब की दो प्रजातियां सफलतापूर्वक उत्पादन दे सकती हैं। इनमें से अन्ना प्रजाति को उत्तराखंड के उत्तरकाशी में विकसित किया गया है।

इस प्रजाति के फल हल्के गुलाबी रंग के होते हैं। जिनका स्वाद हल्के खट्टेपन का होता है। इसके फल का वजन 150 से 200 ग्राम तक रहता है। इसके पांच वर्ष के पेड़ से 25 किलो तक फल प्राप्त हो सकते हैं। दूसरी प्रजाति हरमन-99 है। इसको हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के कृषक हरमन शर्मा ने विकसित किया है। यह भी जनपद में बागवानी के लिए उपयुक्त है।

जनपद में बागवानी का रकबा हेक्टेयर में

बाग    क्षेत्रफल

आम      25,000

लीची      2,000

अमरूद    2,500

आडू         300

लोकाट       25

प्लम           50

 

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स्रोत: अमर उजाला