देसी कपास में पौधे से निकल रही फूटों को इस माह के पहले पखवाड़े में काट दे। फिरमाह के मध्य तक कपास में नाइट्रोजन खाद की दूसरी मात्रा अवश्य डाल दें। देसी कपास में इस समय 25 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ डालें। अमेरिकन कपास में फूल आने के समय 40 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से डालें। संकर किस्मों के लिए नत्रजन खाद (150 किलोग्राम यूरिया) को तीन बराबर हिस्सों में बांट कर तीन बार बिजाई के समय, बौकी आने पर और फूल आने पर डाली जाती है। इसलिए आगे फूल आने पर 50 किलोग्राम यूरिया की तीसरी मात्रा अवश्य डालें।
फसल को कोणदार धब्बों की बीमारी से बचाव के लिए प्लांटोमाइसिन (30 - 40 ग्राम प्रति एकड़) या स्ट्रैप्टोसाइक्लिन (6 -8 ग्राम प्रति एकड़) व कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (600 - 800 ग्राम प्रति एकड़) के घोल का 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें। 2,4 - डी कपास के लिए घातक है। किसी भी रूप में इसे कपास की फसल के संपर्क में न आने दें। जिन छिड़काव यंत्रों से पहले 2,4 - डी का छिड़काव के लिए इस्तेमाल न लाएं। 2,4 - डी से प्रभावित पौधों की समस्या हो जाने पर प्रभावित कोंपलों को 15 सेंटीमीटर काट दें और इसके बाद 2.5 प्रतिशत यूरिया व 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट के घोल का छिड़काव करें।
इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।
स्रोत: अमर उजाला