केंद्र सरकार की बहु प्रचारित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से 2830 किसानों ने दूरी बना ली। इस दफा पहली बार इस योजना को ऐच्छिक बनाया गया था। जिसके बाद 2830 किसानों ने बीमा योजना को लाभदायक न मानते हुए इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया।
केंद्र सरकार ने 13 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को खरीफ के लिए बीमा राशि का दो फीसदी और रबी की फसल के 1.5 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है, जबकि प्रीमियम की शेष धनराशि केंद्र और राज्य सरकार बराबर से वहन करती हैं।
प्राकृतिक आपदा में फसल को नुकसान होने पर बीमा कंपनी किसानों को क्षतिपूर्ति देती है। फसल बीमा योजना लागू होने के बाद से ही केसीसी धारक किसानों के लिए यह अनिवार्य थी, मगर कई किसान संगठन इस प्रावधान का विरोध करते रहे हैं। ऐसे मे इस बार केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को ऐच्छिक कर दिया। बीमा न लेने वाले केकेसी धारक किसानों को 24 जुलाई तक बैंकों को लिखित इकरारनामा देना था। खरीफ सीजन में 2830 केसीसी धारक किसानों ने इस बार फसल बीमा को लेने से इनकार दिया।
पिछले खरीफ में बंटी थी 1,03,12,636 रुपये की क्षति पूर्ति
जनपद में पिछले खरीफ सीजन में फसलों को आंधी-बारिश की खासी मार झेलनी पड़ी थी। पिछले खरीफ सीजन में 46,992 किसानों से दो फीसदी प्रीमियम दर से 3,45,66,063 प्रीमियम वसूला गया था, मगर क्षतिपूर्ति के रूप में मात्र 3167 किसानों को 1,03,12,636 रुपये ही मिल सके।
फसल बीमा कराने का आज है अंतिम मौका
जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार यादव ने बताया कि जो किसान योजना में शामिल होना चाहते हैं वह अपना प्रीमियम शुक्रवार यानी 31 जुलाई तक बैंकों के माध्यम से जमा कर सकते हैं। इसके अलावा केसीसी धारक किसानों के खाते से प्रीमियम दरों के मुताबिक कटौती की जाएगी।
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स्रोत: Amar Ujala