देश में गर्मियों के मौसम की शुरुआत के बीच पुणे के विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान ने रस से भरपूर अंगूर की नयी किस्म विकसित की है। पुणे के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान आघारकर अनुसंधान संस्थान की ओर से विकसित अंगूर की यह किस्म फंफूद रोधी होने के साथ ही अधिक पैदावार वाली और रस से भरपूर है। यह जूस, जैम और रेड वाइन बनाने में बेहद उपयोगी है।
एमएसीएस-एआरआई फलों पर अनुसंधान के अखिल भारतीय कार्यक्रम के तहत भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के साथ जुड़ा है। इस कार्यक्रम के तहत उसने अंगूर की कई संकर किस्में विकसित की हैं। ये किस्में रोग रोधी होने के साथ ही बीज रहित और बीज वाली दोनों तरह की हैं।
अंगूर उत्पाद के मामले में भारत का दुनिया में 12वां स्थान है। देश में अंगूर के कुल उत्पादन का 78 प्रतिशत सीधे खाने में इस्तेमाल हो जाता है जबकि 17-20 प्रतिशत का किशमिश बनाने में, डेढ़ प्रतिशत का शराब बनाने में तथा 0.5 प्रतिशत का इस्तेमाल जूस बनाने में होता है। देश में अंगूर की 81.22 प्रतिशत खेती अकेले महाराष्ट्र में होती है। यहां अंगूर की जो किस्में उगाई जाती हैं वे ज्यादातर रोग रोधी और गुणवत्ता के लिहाज से भी उत्तम हैं।
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स्रोत: कृषक जगत