Mirch Mahotsav 2020 : ब्रांड के साथ उद्योगों को देंगे बढ़ावा, कृषि मंत्री ने किसानों को दिलाया भरोसा

March 02 2020

कृषि उपज मंडी में मिर्च महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर शनिवार को कृषि मंत्री सचिन यादव ने कहा कि इसका उद्देश्य मेहनतकश किसानों के परिश्रम को नया आयाम देना है। किसान इस फेस्टिवल में वैज्ञानिकों से चर्चा कर वायरस या अन्य कृषि की जरूरतों पर बात करें। समझें, यह अवसर है कृषि ज्ञान का। इस फेस्टिवल को किसान की जरूरत के अनुसार ही आयोजित किया गया है। यदि आप लोगों के पास किसी कंपनी की जरूरत के मुताबिक उपज और क्वालिटी है, तो कंपनी आपके पास आएगी और आपसे उपज खरीदने के लिए मजबूर होगी। उन्होंने आगे कहा कि किसानों को कृषि उत्पादक संस्थाएं बनाकर काम करना होगा। क्लस्टर बनाकर खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। जिले के बेड़िया की मिर्च मंडी एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मानी जाती है। एक बड़ा रकबा मिर्च का मंडी से लगा हुआ है। यादव ने कहा कि 15 दिन में कृषि वैज्ञानिक व अधिकारियों की समिति मिर्च के उत्पादन में परेशानियों का अध्ययन कर बेहतर खेती के लिए रिपोर्ट तैयार करेगी।

अधिकारियों ने कहा- काजू और आम की खेती को दे रहे बढ़ावा

महोत्सव में उद्यानिकी आयुक्त महेश कालीदुरई ने कहा कि उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। प्रदेश में 10 हजार हेक्टेयर में आम की खेती की कार्ययोजना चलाई जा रही है। 1430 एकड़ में काजू की खेती की जाएगी। मुख्यमंत्री प्याज योजना अंतर्गत 45 हजार 986 किसानों से प्याज खरीदा गया। मिर्च की फसल को वायरस मुक्त करने के लिए भी कार्य किए जा रहे हैं। कलेक्टर गोपालचंद्र डाड ने कहा कि मिर्च का रकबा 45 हजार हेक्टेयर से कम होकर 25 हजार हेक्टेयर पर आ गया। इसे बढ़ाने के लिए यह आयोजन किया जा रहा है। कॉटन के साथ ही किसानों को मिर्च की खेती करने की जरूरत है। मिर्च की ब्रांडिंग करने की जरूरत है।

जनप्रतिनिधियों ने कहा- बनाए जाए नए क्लस्टर

पूर्व केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री अरुण यादव ने एक समिति बनाकर मिर्च का रकबा कम होने और परेशानियों का पता लगाने की बात कही। उन्होंने कहा कि पूर्व में किसानों ने मिर्च की खेती में करोड़ों रुपए कमाए। मिर्च की ब्रांडिंग के लिए सरकार का यह प्रयास बेहतर है। उन्होंने मीडिया से चर्चा में बुरहानपुर में केला रिसर्च सेंटर खोलने की बात भी कही। बड़वाह विधायक सचिन बिरला ने कहा कि बड़वाह क्षेत्र में किसानों को मिर्च की खेती में पर्याप्त मुनाफा नहीं मिल पाता है। इसलिए मिर्च आधारित उद्योग लगाने की जरूरत है। भगवानपुरा विधायक केदार डावर ने कहा कि लहसुन और प्याज उत्पादक किसानों के लिए भी प्रोजेक्ट बनाने की जरूरत है। नेपानगर विधायक सुमित्रा कास्डेकर ने कहा कि मिर्च महोत्सव से किसानों को उन्नात खेती की जानकारी मिलेगी। मांधाता विधायक नारायण पटेल ने कहा कि किसान समृद्ध होगा तो देश समृद्ध होगा। कार्यक्रम का संचालन अनिल यादव ने किया। कार्यक्रम में पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष राजेंद्रसिंह यादव भी मौजूद थे।

वैज्ञानिकों ने कहा- अपनी जमीन में ही कीट-पतंगों को नष्ट करें

महोत्सव के तकनीकी सत्र में देश की शोध संस्थानों से आए बागवानी वैज्ञानिकों से अपनी खेती से जुड़ी समस्याओं को लेकर किसान रूबरू हुए। इस दौरान किसानों ने अपनी जिज्ञासाएं भी शांत की। साथ ही कई किसानों ने कीट-पतंगों सहित वायरस पर लगाम कसने के लिए प्रश्न भी किए। इस तकनीकी सत्र में जिले व अन्य जिले के मिर्च उत्पादक किसानों और एक्सपोर्टरों ने आपसी बातचीत करते हुए समस्याओं का समाधान किया। डॉ. बलराज ने किसान के सवाल के जवाब में कहा कि अधिकतर कीट जमीन में ही मौजूद होते हैं जो नमी पाकर अपना जीवन बनाए रखते हैं। ये पौध तैयार होने के समय से ही सक्रिय हो जाते हैं। इनको धूप से ही खत्म किया जा सकता है। किसी पेस्टिसाइड की जरूरत नहीं है। किसान मई-जून में दो से तीन बार अच्छी तरह गहरी जुताई कर ले तो 75 प्रतिशत तक समस्याओं से बच सकता है। वैज्ञानिकों ने उद्यानिकी फसलों के लिए तैयार की जाने वाली आदर्श पौधशाला और ग्रीन हाउस का निर्माण और उसके उपयोग के बारे में जानकारी दी। वैज्ञानिक बलराजसिंह ने बताया कि ग्रीन हाउस में जो कीट आते हैं वो जमीन से ही आते हैं। अगर गहरी जुताई की होगी तो यह संभावना नहीं होगी। ग्रीन हाउस फसलों के लिए आईसीयू की तरह होनी चाहिए। इसमे दो दरवाजे बड़े काम के होते हैं। तकनीकी सत्र में बालाजी एग्रो ऑर्गेनिक के जगदीश ने कहा कि गल्फ देशों में भारतीय फसलों की बड़ी मांग है।

किसानों ने कहा : प्रदर्शनी में देखी मिर्च की उन्नात किस्में

आयोजन स्थल पर प्रदर्शनी लगाई गई। इसमें देश की उन तमाम कंपनियों ने स्टॉल लगाए, जो कृषि के क्षेत्र में बड़ा नाम और मुकाम रखती हैं। यहां किसानों ने न सिर्फ अच्छी क्वालिटी के खाद-बीज, कीटनाशकों को जाना, बल्कि नई-नई वैरायटियों के लिए कंपनियों के प्रस्तावों पर भी चर्चा की। किसानों ने प्रदर्शनी में उन यंत्रों को भी देख और उनके उपयोग को भी समझ रहे हैं, जिनकी आज आवश्यकता होने लगी है। कृषि मंत्री यादव व अतिथियों ने पर्यटन पर आधारित सीडी और उद्यानिकी विभाग द्वारा मिर्च को लेकर विभिन्ना प्रकार की पुस्तिकाओं का विमोचन किया। महोत्सव में पहुंचे भैसावद के कृषक रमेश धनगर ने बताया कि वे 12 एकड़ में कपास की खेती करते हैं। इस बार वे कुछ क्षेत्र में मिर्च की खेती करेंगे। उन्होंने मिर्च की उन्नात खेती की जानकारी भी ली।

आयोजन में आज : भंडरण व पैकेजिंग के बताएंगे तरीके

महोत्सव के दूसरे दिन रविवार आमंत्रित वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों द्वारा कृषि से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर तकनीकी सत्र होगा। डॉ. नचीकेत कोतलीवाले पैकेजिंग व भंडारण पर जानकारी देंगे। इसके बाद एक्सपोर्टर आयुष बिनाई व विमल देशाई प्रमाणीकरण के बारे में बताएंगे। किसान उत्पादक समिति के गठन, आवश्यकता व उनके कार्यों तथा बाजार में उपज की आवश्यकता पर डॉ. रविंद्र पस्तोर अपना उद्बोधन देंगे। अन्य कृषि वैज्ञानिक भी तकनीकी जानकारियां किसानों के साथ साझा करेंगे। वहीं शाम सात बजे सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।

निर्यात में बाधा बनता है हमारा तरीका

मिर्च महोत्सव में आईसीएआर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. बलराजसिंह ने कहा कि गत वर्ष लगभग पांच हजार 200 करोड़ रुपए का निर्यात लाल मिर्च से देश से हुआ है। बागवानी के क्षेत्र में लगातार देश प्रगति कर रहा है। मध्यप्रदेश का का इसमें बड़ा योगदान है। भारत पूरी दुनिया में लाल मिर्च में प्रथम स्थान पर है हरी मिर्च में दूसरे स्थान पर है। चीन हरी मिर्च के उत्पादन में एक नंबर पर है जबकि लाल मिर्च के उत्पादन में बहुत पीछे हैं। मिर्च के गुणवत्ता व उत्पादन बढ़ाने के लिए अच्छी किस्में, रोगरोधी प्रजातियों की जरूरत है। डॉ. सिंह ने कहा कि निर्यात में सबसे बड़ी बाधा मिर्च की तुड़ाई, सुखाने का तरीका, पैकिंग, ट्रांसपोर्टेशन का तरीका है। इसके लिए किसानों को वैज्ञानिक खेती को अपनाना होगी। महोत्सव में दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ. नावेद, डॉ. इंदिवर प्रसाद आदि ने भी मार्गदर्शन दिया।


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स्रोत: नई दुनिया