ट्रैक्टर : क्या हर किसान के लिए जरूरी है ?

October 13 2017

Date: 13 October 2017

अभी खरीदी का त्योहार चल रहा है,  बहुत से किसान नया ट्रैक्टर खरीदने के सोच बना रहे होंगे, परन्तु मशीनीकरण के नाम पर ट्रैक्टर खरीदना किसानो को कर्ज के तले ले जा रहा है, सन 1993-94 से देश में ट्रैक्टर का दौर चला जिसके साथ साथ एक दौर और चालू हो गया वो था, किसानो की आत्महत्या का दौर.

एक ट्रैक्टर के लिए औसतन 1000 से 1200 घंटे का कार्य हो तो ट्रैक्टर लाभदायक माना जाता है, फिर भी हमें कम से कम 400 से 500 घंटे का कार्य भी हो तो ले सकते है, अभी हमारे देश में सरकार,  बैंक और ट्रैक्टर कम्पनी अपनी आमदनी बढाने के लिए किसानो के गले में फासी का फंदा डाल रही है, इसलिए बहुत छोटे अमाउंट के साथ ट्रैक्टर देकर बैंक से फाइनेंस करवा दिया जाता है, जबकि यह नहीं देखा जाता है की किसान की आवश्यकता है या नहीं, आज देश में हर साल 6 लाख से ज्यादा ट्रैक्टर बिकते है जिसमे से अधिकतर ट्रैक्टर छोटे किसान और बाकि पुराने को बदलकर स्कीम में नया लेने का दौर जारी है |

क्या ट्रैक्टर खरीदने के पहले इसके अर्थशात्र को समझया या समझने की किसान ने कौशिश की है, आज के समय 6 लाख का ट्रेक्टर, 2 लाख की ट्रोली और 1.5 लाख का सीडरील आती है, जो कि कुल मिलकर 10 लाख के होते है |

यदि एक किसान 10 लाख का सामान व्याज पर लेता है साल में उसे 1 लाख से 1.20  लाख तक का व्याज देना और दूसरा 10% की दर से मशीन का घिसावत या भाव कम होना. तो कुल मिलकर किसान 1 लाख का प्रतिवर्ष घिसावत साथ ही साथ करीब 50 हजार का रखरखाव और डीजल आदि का खर्च होता है |

सब खर्चो को जोड़े तो 2.5 से 2.8 लाख रूपये का एक ट्रैक्टर उधार खरीदने में खर्च आता है बाकी आपके 10 लाख तो अलग से है ही, इसलिए जिन जिन छोटे किसानो ने ट्रैक्टर लिए है वो 10 साल खेती सिर्फ बैंक और ट्रैक्टर कम्पनी के लिए करते है उस बीच कभी फसल ख़राब हो गई तो समझो कोई रास्ता नहीं है |

जबकि एक छोटा किसान ट्रैक्टर खरीदने की बजाय गाँव के किसी किसान जिसके पास ट्रैक्टर है उसको 50 हजार से 1 लाख में पूरा खेत का कार्य करवा सकता है. दूसरा उस ट्रैक्टर वाले किसानो को अलग से कार्य मिल जाता है जिससे वह अपना खर्च निकल सकता है | इसलिए ट्रैक्टर के नाम पर मशीनीकर नहीं बल्कि किसानो को कर्ज के मुह में धकेला जा रहा है |

इसलिए ट्रैक्टर खरीदने के पहले सोच और सरकार ने तुरंत इस पर अपनी नीति तय करना चाहिए, जिन किसान के पास 70% रकम नहीं है उन्हें ट्रैक्टर नहीं दिया जाना चाहिए

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Source: Krishi jagran