रायपुर - प्रदेश में कुपोषणता को दूर करने के लिए इंदिरा गांधी कृषि विवि के रिसर्च सेंटर ने प्रोटीनयुक्त चावल के बीज इजाद किए हैं, जिससे राज्य में कुपोषणता दूर होने के साथ पैदावार में बढ़ोतरी होगी। कृषि विवि रायपुर के बायो टेक्नालॉजी विभाग के वैज्ञानिक डॉ.गिरीश चंदेल ने बताया कि पांच से छह महीने गहन शोध में पाया कि अरवा चावल में पॉलिश से प्रोट्रीन की मात्रा काफी कम हो जाती है। जिसे बनाए रखने के लिए विभाग में तीन विभिन्न् स्टेज पर शोध किया गया।
रिपोर्ट में आया कि इसमें 10 फीसद तक का प्रोटीन पाया गया। साथ ही जिंक 24 पीपीएम (माइक्रोग्राम प्रति ग्राम ऑफ राइस) है, जबकि अभी के चावल में 6 फीसद प्रोटीन, तो 16 फीसद जिंक पाया जा रहा है। राज्य में इस तरह की फाइन बीज के फसलों की पैदावार होती है तो लगभग 60 फीसद कुपोषण दूर किया जा सकता है।
सीड रिलीजिंग कमेटी को भेजा गया प्रस्ताव
कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वैज्ञानिक द्वारा किए गए रिसर्च रिपोर्ट को सहमति देने के लिए राज्य सीड रिलीजिंग कमेटी को प्रस्तावित कर दिया गया है। स्वीकृति मिलते ही वेरायटीज की मंजूरी मिलने सहित नोटिफिकेशन की प्रकिया होगी। जिसके बाद छह-आठ महीनों में प्रोटीनयुक्त बीज किसानों के लिए उपलब्ध हो सकेंगे, जो चावल में प्रोटीन एवं जिंक की मात्रा बढ़ाने से ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में कुपोषण की समस्या दूर होगी।
अधिकांश लोग नहीं लेते प्रोटीन
चावल में मुख्यत: आयरन, जिंक एवं प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक लगभग 15 वर्षों से नए प्रयोग कर रहे हैं। वहीं एजीएम मीटिंग( दिल्ली) में हुई बैठक में यह तथ्य सामने आया था कि अधिकांश लोग प्रोटीनयुक्त आहार नहीं लेते हैं।
इसकी वजह से कुपोषण के मामले बढ़ रहे है। जिसकी जानकारी सेवन करने वाले को पता नहीं चलता है। उसमें कितना प्रोटीन, जिंक एवं आयरन है? ऐसे में वे सिर्फ कार्बोहाईट्रेट ही लेते हैं और शरीर को आवश्यक ऊर्जा नहीं मिल पाती है।
- आयरन की मात्रा चावल में बढ़ाने में अभी कोई खास सफलता नहीं मिल पाई है, क्योंकि यह तत्व चावल के ब्राउन भाग में होता है और पॉलिश के दौरान इसे निकाल दिया जाता है। फाइन बीज से जरूर किसानों की उत्पादकता बढ़ेगी। साथ ही खासकर कुपोषणता को दूर किया जा सकेंगा। - डॉ. गिरीश चंदेल, बायो टेक्नालॉजी विभाग, कृषि विवि, रायपुर
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Source: Nai Dunia