नेपियर घास एक बार लगाएं पांच साल हरा चारा पाएं,

April 25 2018

पशुपालकों को हरे चारे की सबसे ज्यादा परेशानी होती है, बरसीम, मक्का, ज्वार जैसी फसलों से तीन-चार महीनों तक ही हरा चारा मिलता है। ऐसे में पशुपालक नेपियर घास लगाकर चार-पांच साल तक हरा चारा पा सकते हैं। नेपियर घास की रोपाई करने का यह सही समय है। यह घास बीस से पचीस दिनों में तैयार हो जाती है।

उत्तर प्रदेश में बरेली जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर गिरधारीपुर गाँव में रहने वाले संवालिया शरण सिंह (65 वर्ष) के पास 21 बीघा जमीन है जिसमें से दो बीघा जमीन पर संवालिया ने अपने 30 पशुओं के लिए नेपियर घास उगा रखी है। संवालिया बताते हैं, “अगर रोज पशुओं को हरा चारा दिया जाए तो उस पर काफी खर्चा आता है इस घास से पशुओं को हरा चारा भी मिलता है और कोई खर्चा भी नहीं आता है।”

पिछले तीन वर्षों से संवालिया नेपियर घास उगा रहे हैं। संवालिया बताते हैं, “पहले अपने पशुओं को हरा चारा खिलाने के लिए ज्वार और बाजरा उगाते थे, लेकिन उससे भी पशुओं को वर्षभर हरा चारा नहीं मिल पाता था। चारे को लगाने में बीज खरीद, जुताई और खाद की लागत भी ज्यादा आती थी। तब मैंने नेपियर घास लगाया और पशुओं को दिसंबर और जनवरी छोड़कर हर महीने हरा चारा मिलता है।”

पशुचारे का संकट पूरे देश में है। लगभग 20 करोड़ पशुओं के सापेक्ष आधा चारा ही उपलब्ध है। केंद्र सरकार की समिति ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें बताया गया है कि देश में हरे चारे और भूसे का संकट है। पशुओं को तीन तरह का चारा दिया जाता है, हरा, सूखा और सानी। तीनों तरह के पशु चारे का अभाव है। जितनी जरूरत है उससे हरा चारा 63 फीसदी, सूखा चारा 24 फीसदी और सानी चारा 76 फीसदी कम है।

संवालिया आगे बताते हैं, “मैंने नेपियर घास (प्रजाति CO3) की 500 रूट स्लिप्स (जड़) उगाई थी। इससे 2 बीघे जमीन पर 2500 गुच्छे तैयार हो जाते है। एक पशु के लिए दो पोधे रोज काटते है