"House flies are benificial for mango farming" - IARI Scientists

February 11 2019

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घर की मक्खियां खाद्य पदार्थो पर बैठकर भले उसे संक्रमित कर देती हैं पर फलों के राजा आम के बेहतर उत्पादन में यह वरदान की तरह है। घर में पाई जाने वाली मक्खियों के साथ-साथ अगर बंबिल, डिपरेटस, ओवर और मधुमक्खी बाग नहीं पहुंचे तो आम की उत्पादकता प्रभावित हो सकती है। यह जानकारी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा नई दिल्ली के उद्यान (फल) वैज्ञानिक डॉ. आरएन सिंह की शोध में हुआ है।बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर के उद्यान विभाग के अध्यक्ष डॉ. फिजा अहमद ने बताया कि 70 से 80 फीसद घर की मक्खियां बाग में पराग निषेचन का कार्य कर आम की उत्पादकता को बढ़ाने का काम करती हैं।

पिछले दो दशकों से रासायनिक कीटनाशी दवाओं का बेतहाशा प्रयोग हो रहा है। इससे घरेलु मक्खियों की संख्या 30 फीसद तक घट गई है। कीटनाशी के प्रयोग से फलन तो बढ़ा है पर गुणवत्ता में भारी कमी आई है। दवाओं के छिड़काव से बागों की सेहत पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

मक्खियां कैसे हैं मददगार : पेड़ों में मंजर आने पर घर की मक्खियां बागों में जाती हैं और बड़े पैमाने पर पराग निषेचन करती हैं। इससे फलन बेहतर होता है। पर इस बात की जानकारी बहुत ही कम बागवानों को है। लिहाजा वे बेहतर उत्पादन और मंजर को बीमारियों से बचाने के लिए कीटनाशी दवाओं का स्प्रे कर देते हैं। इससे पराग निषेचन को आने वाली घर की मक्खियां जहरीली दवा के संपर्क में आते ही मर जाती हैं।

जब आम के पेड़ में मटर के दाने की तरह फल लग जाए तब 10 से 15 दिनों के अंतराल पर बागों की हल्की सिंचाई करें। इससे बेहतर एवं गुणवत्तापूर्ण फलन होगा। बागों का वैज्ञानिक प्रबंधन करने पर ही अपेक्षा के अनुरूप उत्पादन होगा।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा नई दिल्ली के उद्यान (फल) वैज्ञानिक डॉ. आरएन सिंह की शोध में चला पता 70-80 फीसद घर की मक्खियां आम फलन में पराग निषेचन का करती हैं काम : डॉ. फिजा अहमद30 फीसद मक्खियों की संख्या घट गई हैं रासायनिक कीटनाशी दवाओं के बेतहाशा प्रयोग से पहले के मुकाबले फलन तो बढ़ी पर गुणवत्ता में आ गई है कमी 

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 स्रोत:  Jagran