लखनऊ। जब भी जैविक खाद का नाम आता है तो गाय और भैंस के गोबर और गोमूत्र से बनी खाद का जिक्र होता है, लेकिन बकरी की लेड़ी ( बीट) से भी फसलों के लिए अच्छी जैविक खाद बनाई जा सकती है। इस खाद का प्रयोग करके फसल की उत्पादकता 20 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। कुछ किसानों के मुताबिक ये खाद डीएपी यूरिया से अच्छा काम करती है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 20 किमी. दूर रसूलपुर सादात गाँव में द गोट्र ट्रस्ट संस्था में बकरी की बीट की खाद बनाकर उसको बेचा जा रहा है, साथ ही इस खाद को बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है, जिससे महिलाओं और किसानों को रोजगार मिल सके। द गोस्ट ट्रस्ट के प्रबंधक विनय गोतम ने बताया, "अभी हम लोग करीब पांच गाँव से 500 किलो बकरी की बीट को इकट्ठा करके उसकी खाद बना रहे हैं। साथ ही उसकी ट्रेनिंग भी दे रहे हैं।"
इस खाद की खासियत के बारे में विनय बताते हैं, "बकरी बीट खाद पोषक तत्वों को धीरे-धीरे लम्बे समय तक पौधों को उपलब्ध कराती है। अन्य खाद की तुलना में बकरी खाद में बदबू नहीं आती है। इसको बनाना काफी आसान है। इस खाद को खेती में प्रयोग करने पर फसलों में कीट-पतंगे कम लगते हैं और दीमक नहीं लगता है। इस खाद का प्रयोग करने के बाद नीम खाद अलग से डालने की जरुरत नहीं पड़ती है।
गैर सरकारी संस्था द गोट ट्रस्ट अब तक लाखों महिलाओं और किसानों के साथ जुड़कर बकरी पालन व्यवसाय की ट्रेनिंग देकर रोज़गार मुहैया कराया है। अब बकरी की बीट से खाद बनाकर उनको एक नए रोजगार से जोड़ रहे हैं। द गोट ट्रस्ट वर्तमान में उत्तर प्रदेश के पांच जिलों (लखनऊ, सीतापुर, बाराबंकी, इलाहाबाद, प्रतापगढ़) में काम कर रहा है। यह महिलाओं और किसानों को बकरियों के पशु आहार बनाने, पशु खरीदने उन्हें बेचने, टीकाकरण तकनीकी तरह से पशुपालन करने, बैंक लोन लेने जैसे सुविधाएं प्रदान कर रहा है।
एनडीडीबी 2016 के आंकड़ों के मुताबिक प्रतिवर्ष 5 मीट्रिक टन रोज बकरी के दूध का उत्पादन। एनडीडीबी 2016 के आंकड़ों के मुताबिक प्रतिवर्ष 5 मीट्रिक टन रोज बकरी के दूध का उत्पादन।
बकरी बीट खाद के लाभ
बकरी खाद पानी को खेत में अधिक समय तक रोककर रखती है।
बकरी खाद डालने से मिटटी उपजाऊ बन जाती है।
तैयार बकरी खाद सूखी होती है, और इसमे एनपीके की मात्रा अधिक होती है।
एक बरसात होने पर भी खेत में नमी बरक़रार रखती है। .
इसके उपयोग से खेत में घास नहीं के बराबर होती है।
इसके उपयोग से कीट पतंगों का आक्रमण कम हो जाता है।
इसे आसानी से भंडारित और बाजार में बिक्री किया जा सकता है।
बकरी खाद के उपयोग से 50 प्रतिशत फलदार पौधों के फल को गिरने से रोका जा सकता है।
नारियल के पौधे में इसके उपयोग से 75 प्रतिशत पैदावार बढ़ जाती है।
यह जमीन में पोषक तत्त्व को बढ़ाता है पौधों को स्वस्थ्य रूप से बढ़ने में मदद करता है और फसल की उत्पादकता को बढ़ा देता है। नुकसानदायक केमिकल के उपयोग की जरूरत नहीं होती है
बीट खाद की पैकिंग और व्यापार
बकरी की बीट को पहले सूखा लेना चाहिए।
फिर उसको पीसकर छान लेना चाहिए।
इसके बाद पैकेट में भर के सील कर सकते हैं।
तैयार माल को बाजारों में बेच सकते हैं।
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Source: Gaonconnection