मिलिए जमशेदपुर के संतोष शर्मा से, लाखों का पैकेज छोड़ शुरू किया डेयरी फार्म, कर रहे करो़ड़ों का बिजनेस

January 24 2018

डेयरी फार्मिंग एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे अगर पूरी प्लानिंग के साथ किया जाए तो मुनाफा ही मुनाफा है। डेयरी के सुल्तान सीरीज में हम आपके ऐसे सफल लोगों से रूबरू कराते हैं, जिन्होंने डेयरी फार्मिंग को पेशेवर तरीके से किया और लोगों के सामने मिसाल कायम की है। आज हम आपको बता रहे हैं झारखंड के जमशेदपुर के संतोष शर्मा की सफलता की कहानी, जिन्होंने लाखों के पैकेज वाली जमी जमाई नौकरी छोड़ कर, डेयरी के क्षेत्र में कुछ करने की ठानी और स्थापति कर दिया एक ऐसा डेयरी फार्म, जिसकी आज पूरे देश में चर्चा है।

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरित हो खोला डेयरी फार्म

जमशेदपुर के रहने वाले 40 वर्षीय संतोष शर्मा का बचपन काफी संघर्ष में गुजरा। दिल्ली में ग्रेजुएशन करने के बाद, इन्होंने कॉस्ट अकाउंटिंग का कोर्स किया, और फिर अपनी पहली नौकरी मारुति में शुरू की, जिसमें इन्हें 4800 रुपये महीने वेतन मिलता था। सन 2000 में संतोष शर्मा की इर्नेस्ट एंड यंग में 18000 रुपये महीने की सैलरी पर नौकरी लगी। 2003 में नौकरी छोड़ सिविल सर्विसेज की तैयारी करते-करते शर्मा ने 2004 में जमशेदपुर स्थित एक मल्टीनेशनल बैंक में बतौर ब्रांच मैनेजर ज्वाइन कर लिया। इसके बाद 2007 में वह एयर इंडिया से बतौर असिस्टेंट मैनेजर (कोलकाता) जुड़ गए। यहां पर संतोष की सैलरी 85,000 रुपये थी। इस दौरान संतोष शर्मा ने कुछ किताबें भी लिखीं और युवाओं को प्रेरित करने का भी काम किया। 2013 में का बार उन्हें पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का बुलावा आया और वो दिल्ली में मिलने उनके घर पहुंचे। बस इसी मुलाकात के बाद संतोष शर्मा की सोच बदल गई, उन्होंने कलाम साहब से प्रेरणा लेकर एयर इंडिया से तीन साल की छुट्टी ली और फिर डेयरी फार्म की नींव रखी।

नक्सल प्रभावित गांव में स्थापित किया डेयरी फार्म

संतोष शर्मा ने 2016 में जमशेदपुर के पास नक्सल प्रभावित आदिवासी इलाके में स्थित दलमा गांव में डेयरी बिजनेस की शुरुआत की। संतोष ने अपने बचपन में घर पर पशुपालन और दुग्ध उत्पादन का कारोबार देखा था। दरअसल इनके पिता की रिटायर होने के बाद  घर में कमाई का जरिया बनाने के लिए मां ने एक गाय पालकर उसका दूध बेचना शुरू किया था, जो धीरे-धीरे बढ़ कर 25 गाय तक पहुंच गया था। संतोष और उनके भाई भी इस काम में हाथ बंटाते थे और घर-घर दूध की सप्लाई किया करते थे। संतोष को बचपन की यादें ताजा थीं और वो अपनी मां के इस काम को आगे बढ़ाना चाहते थे। अपने मां से प्रभावित संतोष शर्मा ने फार्म का नाम रखा का मम्मा डेयरी फार्म।

80 लाख रुपये लगाकर 8 गायों से शुरू किया डेयरी फार्म

संतोष शर्मा ने बताया कि उन्होंने डेयरी फर्म स्थापित करने में अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी। उन्होंने डेयरी फार्म स्थापित करने से पहले काफी रिसर्च किया। 2014 में उन्होंने दलमा वाइल्डलाइफ अभ्यारण्य में पार्टनरशिप में 30 हजार रुपये महीने किराए पर जमीन ली। डेयरी फार्मिंग पर रिसर्च करने के बाद उन्होंने 2016 में मम्मा डेयरी फर्म की शुरुआत की। संतोष शर्मा ने शुरूआत में ही अपने फार्म को आधुनिक बनाया। गायों के लिए काफी बड़ा शेड बनवाया, वहां फॉगर सिस्टम, फैन आदि का इंतजाम किया। साथ ही गायों के चारे का भी समुचित बंदोबस्त किया। गायों का खाने में हरे चारे के साथ, कैटल फीड भी दिया जाता है। आज संतोश शर्मा के डेयरी फार्म में 100 गायें हैं। संतोष ने अपने डेयरी फार्म पर 100 लोगों को रोजगार दिया है। यह सभी लोग आदिवासी गांवों के  हैं और गायों को चार खिलाने से लेकर दूध निकालने का काम करते हैं।

दूध के साथ पनीर, बटर, घी भी बेचते हैं संतोष

संतोष की मम्मा डेयरी जमशेदपुर में ऑर्गेनिक दूध बेचती है। जमशेदपुर में इनके डेयरी फार्म के दूध की भारी मांग है। संतोष के मुताबिक फार्म में साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है, दूध दुहने के लिए मिल्क पार्लर लगाया है, और मशीन के जरिए दूध दुहा जाता है। गायों को ऑर्गेनिक चारा खिलाया जाता है। डेयरी फार्म में हर महीने 15 हजार लीटर से ज्यादा का दुग्ध उत्पादन होता है। संतोष के मुताबिक उन्होंने ऑर्गेनिक मिल्क के अलावा पनीर, बटर और घी भी बेचना शुरू किया है। शर्मा अगले कुछ महीने में फ्लेवर्ड मिल्क भी मार्केट में उतारने की तैयारी में हैं। संतोष की डेयरी कंपनी दो वर्षो में 2 करोड़ का बिजनेस करने लगी है।

लेखन और मोटिवेशन भी करते हैं संतोष शर्मा

संतोष शर्मा न सिर्फ अपने डेयरी स्टार्टअप के बिजनेस को बढ़ा रहे हैं, बल्कि वह लेखन और मोटिवेशनल स्पीकिंग का काम भी करते हैं। शर्मा अभी तक दो किताबें नेक्स्ट वॉट इज इन और डिजॉल्व द बॉक्स भी लिख चुके हैं। वह आईआईएम जैसे शीर्ष प्रबंधन संस्थानों में जाकर स्टूडेंट्स को प्रेरित करते हैं।

कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं संतोष 

संतोष को 2013 में ‘स्टार सिटिजन ऑनर’ सम्मान, 2014 में टाटा द्वारा ‘अलंकार सम्मान’ और 2016 में झारखंड सरकार द्वारा ‘यूथ आइकन’ सम्मान से नवाजा गया। संतोष अपनी नेक मुहिम को सिर्फ डेयरी तक ही सीमित नहीं रखना चाहते हैं। उनकी इच्छा है कि वह ग्रामीणों के लिए एक स्कूल और अस्पताल भी खोलें। संतोष कृषि और पर्यटन को बढ़ावा देना चाहते हैं और उनकी अपेक्षा है कि इस काम में वह अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ सकें। युवाओं को संदेश देते हुए संतोष कहते हैं कि आप अपने जुनून का पीछा जरूर करें, लेकिन समाज के प्रति अपने दायित्वों को जरूर ध्यान में रखें।

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Source: Dairy Today