लखनऊ। पोल्ट्री फार्मों में रोगों को फैलने से रोकने के लिए प्रबंधन, टीकाकरण के साथ साथ बायोसिक्योरिटी को अपनाना आवश्यक और सस्ता उपाय है। कई संगठित पोल्ट्री इनका ख्याल रखती हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी असंगठित पोल्ट्री किसान इसको नज़रअंदाज कर देते हैं, जिससे पोल्ट्री किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।
भारत में पोल्ट्री व्यवसाय बहुत तेज़ी के साथ बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश में कुक्कुट पालन व्यवसाय की विकास की दर लगभग 30 प्रतिशत है। बहुत कम लागत से शुरू होने वाला यह व्यवसाय लाखों-करोड़ों का मुनाफा देता है लेकिन किसान की जरा सी चूक से किसान को आर्थिक नुकसान होता है।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में स्थित चक गजरिया फार्म के कुक्कुट निरीक्षक डॅा अशाेक कुमार बताते हैं, "ग्रामीण क्षेत्रों में कुक्कुट फार्मों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हो रही है। कई जगहों पर पास-पास फार्म देखने को मिल जाएेंगे। ऐसे में बायोसिक्योरिटी को पोल्ट्री किसानों को अपनाना चाहिए।”
अलग-अलग आयुवर्ग के पक्षी एक साथ न रखें। अलग-अलग आयुवर्ग के पक्षी एक साथ न रखें।
“बायोसिक्योरिटी का मतलब जैव सुरक्षा। फार्म का वैक्सीनेशन रिकार्ड, सफाई के तोर तरीके जैसे कई उपाय जो किसान खुद कर सकता है, बायोसिक्योरिटी कहलाता है।" डॅा अशोक ने बताया।
फार्म के अंदर रोगों को उत्पन्न होने से रोकने के लिए टीकाकरण और औषधि का उपयोग अच्छे प्रबंधन के साथ करना होता है जबकि फार्म के बाहर दूसरे फार्मों में फैलने वाले रोगों से बचाव बायोसिक्योरिटी को अपनाकर करते है। बायोसिक्योरिटी का उद्देश्य छुअाछूत या हवा से फैलने वाले रोग जैसे- बर्ड फ्लू, रानीखेत, गम्बोरो आदि बीमारियों को रोकना है। जब फार्म पास-पास होते है तो वहां पर रोग फैलने की संभावनाएं सबसे ज्यादा बढ़ जाती है।
एक फार्म से दूसरे फार्म तक ऐसे फैलते है विषाणु
ऐसे कुक्कुट पक्षी का फार्म पर आना जो देखने में स्वस्थ्य हो लेकिन रोगों के विषाणु अथवा जीवाणु युक्त हो। इसलिए फार्म में पक्षी को लाने से पहले पूरी जांच कर लें।
आने जाने और कार्य करने वालों के कपड़ों और जूतों से, जो फार्म पर एक ब्लॅाक से दूसरे ब्लॅाक में जाते है।
मरे हुए पक्षी से, जो खुले में फार्म के आस-पास फेंक दिेये जाते है और उन्हें कुत्ते फार्म तक ले आते है।
चूहों, कीड़े-मकोड़े, जंगली जानवरों और मक्खियों के द्वारा।
आहार, आहार बैग, समान लाने और ले जाने ट्रक के द्वारा।
ब्रीडर फार्म के लिए बायोसिक्योरिटी
कई तरह के प्रजातियों के पक्षियों का पालन एक ही फार्म पर न करेें। कई तरह के प्रजातियों के पक्षियों का पालन एक ही फार्म पर न करेें।
ब्रीडर फार्म शुरु करते समय 1 से 2 किमी. दूर तक कोई कुक्कुट फार्म न हो।
ब्रीडर फार्म मेन रोड से दूर होना चाहिए, जिससे कार्मशियल या बैकयार्ड मुर्गी की ढुलाई के दोरान इंफेक्शन ब्रीडर फार्म पर न आये।
ब्रीडर फार्म को फीडमिल या हैचरी से दूर रखना चाहिए।
पूरे फार्म की फेनसिंग करना चाहिए ताकि अनचाहे व्यक्ति और जानवर अंदर न आये।
पानी का निरीक्षण जीवाणुओं, कैमिकल और मिनरल के लिये करवायें।
पक्का अथवा कंकरीट का स्टेज, जहां बिजली और पानी दोनों के निकास की सुविधा हो।
भडारण की समुचित व्यवस्था होनी चाहिये।
मरे पक्षियों को फेंकने के लिए गड्ढ़ा (डिस्पोजल पिट) होना चाहिए।
फार्म का निर्माण इस प्रकार को कि चूहे न आ सके।
क्या न करें
गंदे उपकरण और ट्रक्स को फार्म में न आने दें।
कई तरह के प्रजातियों के पक्षियों का पालन एक ही फार्म पर न करेें।
अलग-अलग आयुवर्ग के पक्षी एक साथ न रखें।
अगर बायोसिक्योरिटी के बारे में या कोई और जानकारी चाहते है तो इस पर संपर्क कर सकते है
पशुधन समस्या निवारण केंद्र-- 18001805141
0522-2741991
0522-2741992
अपर निदेशक गेड-1 कुक्कुट एव अंय पशुधन विकास 0522- 2740102 (8765957842)
सयुक्त निदेशक 0522-2740216 (8765957880)
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Source: Gaonconnection