12 समितियों में किसानों का 44 करोड़ का कर्ज माफ
July 27 2019
देश के करीब छह करोड़ किसानों के बैंक अकाउंट में खेती-किसानी के लिए चार-चार हजार रुपये पहुंच गए हैं. लेकिन 8.5 करोड़ किसान परिवार अब भी पैसे का इंतजार कर रहे हैं. क्या आपको भी पैसा नहीं मिला है? यदि ऐसा है तो पहले अपने कृषि अधिकारी और लेखपाल से संपर्क करें. यदि बात नहीं बन रही है तो सीधे केंद्रीय कृषि मंत्रालय में फोन करके किसान हेल्प डेस्क (PM-KISAN Help Desk) के ई-मेल Email (pmkisan-ict@gov.in) पर संपर्क कर सकते हैं. वहां से भी न बात बने तो इस सेल के फोन नंबर 011-23381092 (Direct HelpLine) पर फोन करके अपनी समस्या बता दें.
ऐसे हजारों पात्र किसान हैं जो भटक रहे हैं लेकिन उनके जिले के कृषि अधिकारियों और लेखपालों की लापरवाही से लाभ नहीं मिल पा रहा. ऐसे ही एक किसान हैं बुलंदशहर के गांव असदपुरघेड़ के चंद्रमणि आर्य. जिन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार को लिखा है कि वह नियमों के मुताबिक PM किसान सम्मान निधि के दायरे में आते हैं. उनका पहली ही लिस्ट में नाम भी आ चुका है. लेखपाल से मिलकर उन्होंने बाकायदा लिस्ट में नाम चेक भी किया था. लेकिन शासन के निर्देशानुसार समिति स्तर पर 30 जुलाई तक और शाखा स्तर पर 10 अगस्त तक जिले में ऋण माफी तिहार मनाया जा रहा है। शुक्रवार को 12 सहकारी बैंक समितियों में कृषक ऋण माफी तिहार मना। इनमें धरसींवा, धरमपुरा, मढ़ी, रींवा, पलौद, भंडार, रवेली, तामासिवनी, मानिकचौरी, कठिया, सरोरा और कनकी शामिल हैं। धरसींवा समिति में 1865 किसानों का 6 करोड़ 6 लाख 17 हजार, धरमपुरा समिति में 156 किसानों का 92 लाख 22 हजार, मढी समिति में 670 किसानों का 3 करोड़ 22 लाख 77 हजार रुपये का ऋण माफ किया गया। रींवा समिति में 1346 किसानों का 6 करोड़ 9 लाख 94 हजार, पलौद समिति में 953 किसानों का 2 करोड़ 89 लाख 65 हजार, भंडार समिति में 738 किसानों का 2 करोड़ 99 लाख 40 हजार का कर्ज माफ किया गया। रवेली समिति में 849 किसानों का 3 करोड़ 48 लाख 55 हजार, तामासिवनी समिति में 1133 किसानों का 3 करोड़ 46 लाख 40 हजार, मानिकचौरी समिति में 1908 किसानों का 6 करोड़ 22 लाख 64 हजार रुपये का ऋण माफ किया गया। कठिया समिति में 756 किसानों का 3 करोड़ 33 हजार, सरोरा समिति में 861 किसानों का 3 करोड़ 78 लाख 43 हजार और कनकी समिति में 634 किसानों का दो करोड़ 17 लाख 18 हजार रुपये का ऋण माफ किया गया।
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स्रोत: नई दुनिया