किसानों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को ज्यादा सरल और प्रभावी बनाने के लिए कृषि मंत्रालय बड़े सुधारों की तैयारी में है। नए नियमों के तहत किसानों के लिए प्रीमियम की राशि घटाने के साथ ही निगरानी, तत्काल मुआवजा और दरवाजे पर बीमा मुहैया कराने समेत कई कदम उठाए जाएंगे। मंत्रालय योजना के अनुपालन के लिए बीमा प्राधिकरण के गठन पर भी विचार कर रहा है।
जल्द निपटारे की अवधि तय
गत वर्ष मंत्रालय ने किसानों के दावों के निपटारे के लिए दो माह की अवधि निर्धारित की थी। इसके एक माह बाद बीमा कंपनियों और राज्यों को मुआवजे के साथ जुर्माने के तौर पर 12 फीसदी ब्याज देना होगा। साथ ही प्रचार-प्रसार और जागरूकता के लिए बीमा कंपनियों को कुल प्रीमियम का 0.5 प्रतिशत खर्च करना भी अनिवार्य किया गया था।
प्राधिकरण बनाने की तैयारी
अधिकारी के मुताबिक, योजना के लिए एक प्राधिकरण का गठन कर उसके सटीक अनुपालन की व्यवस्था कायम की जा सकती है, जो केंद्रीय, प्रादेशिक और जिला स्तर पर काम करेगा। इसकी प्राथमिकता तत्काल या जल्द से जल्द मुआवजा मुहैया कराने की होगी। वह बीमा कंपनी या राज्य द्वारा मुआवजा मुहैया कराने में आनाकानी जैसी परिस्थितियों से किसान का बचाव करेंगे। साथ ही जरूरत पड़ने पर नियमों में बदलाव भी किया जाएगा। उसे जुर्माना लगाने का अधिकार होगा जिससे योजना को और प्रभावी बनाया जा सकेगा।
लगातार घटता जाएगा प्रीमियम
जो किसान लगातार फसल का बीमा कराएंगे उनके प्रीमियम में छूट यानी प्रीमियम को निर्धारित चरण के बाद घटाने का मॉडल तैयार किया जा रहा है। पिछले दो वर्षों में राज्यों से मिली रिपोर्ट से पता चलता है कि मुआवजा निपटारे में काफी देर लगती है। वर्ष 2016-17 में राज्य और केंद्र सरकार ने 22,345 करोड़ रुपये का प्रीमियम दिया जबकि इस अवधि में किसानों को 16,195 करोड़ रुपये का मुआवाजा मिला। वर्ष 2017-18 में भी 26,610 करोड़ प्रीमियम के बदले किसानों को 18,532 करोड़ का मुआवजा मिला। इस दौरान किसानों ने भी 5,000 करोड़ रुपये का प्रीमियम चुकाया।
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स्रोत: Amar Ujala