कृषि कर्ज माफी पर चल रही राजनीतिक बहस में अब सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग भी कूद पड़ा है। आयोग का कहना है कि कर्ज माफी से महज कुछ ही किसानों को लाभ होगा और इससे कृषि संकट का कोई स्थाई हल नहीं निकलेगा। आयोग कृषि मंत्रालय को यह सुझाव देगा कि राज्यों को दी जाने वाली धनराशि को प्रदेशों द्वारा कृषि क्षेत्र में किए जाने वाले सुधारों से लिंक कर दिया जाए।
नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने बुधवार को स्ट्रैटेजी फॉर न्यू इंडिया एट 75 विजन दस्तावेज जारी करने बाद कहा कि कर्ज माफी कृषि संकट का हल नहीं है। यह एक समाधान नहीं, बल्कि समस्या के लक्षण कम करने वाला उपाय है।
कुमार ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार से देशभर के किसानों का कर्ज माफ करने की मांग की है। गांधी ने इस बात का संकेत भी दिया है कि कांग्रेस पार्टी आगामी चुनाव में कृषि कर्ज माफी को बड़ा मुद्दा बना सकती है।
नीति आयोग में कृषि मामलों के विशेषज्ञ सदस्य रमेश चंद का कहना है कि कर्ज माफी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि इससे मात्र कुछ ही किसानों को फायदा होता है। चंद ने कहा कि गरीब राज्यों में मात्र 10-15 फीसद किसानों को ही कृषि कर्ज माफी का फायदा हुआ क्योंकि इन राज्यों में कुछ ही किसान संस्थागत कर्ज हासिल कर पाते हैं।
कई राज्यों में 25 फीसद किसान भी संस्थागत कर्ज प्राप्त नहीं कर पाते। उन्होंने कहा कि जब अलग-अलग राज्यों में संस्थागत कर्ज लेने वाले किसानों के अनुपात में इतना अंतर है तो कृषि कर्ज माफी पर इतनी धनराशि खर्च करने का सार्थक नहीं है। चंद ने कहा कि कैग रिपोर्ट में भी कहा गया है कि कृषि कर्ज माफी से फायदा नहीं होता।
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Source: Nai Dunia