Agricultural institute has developed a new type of paddy

February 09 2019

This content is currently available only in Hindi language.

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित धान की नवीन किस्में अब पैदावार को बढ़ायेंगी और साथ ही किसानों को दोहरा मुनाफ़ा देगी. चलिए अब जानते है इन किस्मों के बारे में :-

सी.एस.आर-46

यह धान की किस्म तैयार होने में 130 -135दिन का समय लेती है. पौधे में रोपन के 100- 105 दिन बाद फूल आने शूरू हो जाते है. इस क़िस्म के पौधों की लम्बाई 115 से.मी होती है. यह किस्म (NDRK 50035 ) के मुकाबले में 36 फ़ीसद अधिक पैदावर देती है. इस किस्म को सामान्य भूमि में उगाया जा सकता है और 65क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावर देने में सक्षम है. कलराठी भूमि में उगाने पर 40 क्विंटल तक पैदावार दे देती है.

सी.एस.आर-56

यह किस्म 120-125दिन में तैयार हो जाती है और फूलों के आने का समय 90 -95दिन है. इस किस्म के पौधे 100से.मी तक होते है. विभिन्न प्रकार की मृदा से औसतन 70 क्विंटल तक प्रति हेक्टेयर उपज मिल जाती है जबकि नरम/लवणीय मृदा में 43 क्विंटल तक उपज मिल जाती है.

सी.एस.आर-36

यह किस्म तैयार होने में 125- 130दिन ले लेती है. यह किस्म लवणीय भूमि को सहने में सक्षम है. यह किस्म चैक सी.एस.आर-36 अधिक उपज देने वाली देने वाली किस्म बी.पी.टी 2204 और (जया के मुकाबले क्रमश: 9प्रतिशत,  53प्रतिशत और 43प्रतिशत अधिक उपज देती है. यह किस्म प्रति हेक्टेयर 70 क्विंटल तक उपज दे देती है.

उपरोक्त तीनों किस्में लीफ ब्लास्ट, नैक ब्लास्ट, शीथ रॉट, बैक्टीरियल लीफ ब्लास्ट, ब्राउन स्पॉट रोगों को सहने में सक्षम है और साथ ही लीफ फोल्डर और वाइट बैक्ड प्लांट हॉपर नामक कीटों के प्रकोप को रहने में सक्षम है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नयी दिल्ली द्वारा इन तीनों किस्मों के उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्रों में उगाने की संस्तुत्ती कर दी है.

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है|

स्रोत: Krishi Jagran