ग्वालियर के तीन किसानों ने उद्यानिकी विभाग से नई तकनीक सीख खेती को बनाया लाभ का व्यवसाय

December 24 2021

भयपुरा के रोशनलाल, राजू और भरथरी के सुरेंद्र बघेल परंपरागत खेती से किसी तरह गुजर-बसर कर रहे थे। अब उन्नत तकनीक को सीखकर वे गुलाब, सब्जी और फलदार खेती की पैदावार कर लाखों कमा रहे हैं। अब यह उन किसानों के लिए उदाहरण बन चुके हैं जो परंपरागत खेती कर मुनाफा नहीं कमा पा रहे हैं। जिसने उन्हें नई व उन्नत तकनीक सिखाकर खेती को लाभ का व्यवसाय बना दिया।

एक साल में पांच से छह लाख की फसल हाे रही तैयारः भयपुरा के रोशनलाल कुशवाह बताते हैं कि हमारा परिवार पहले परंपरागत खेती कर किसी तरह से गुजर बसर कर रहा था। सिंचाई और खाद-बीज की लागत के अलावा मुनाफा कमाना दूर की बात होती थी। उद्यानिकी विभाग से मैंने उन्नत खेती के लिए नई तकनीक सीखी और एक हेक्टेयर भूमि में गुलाब व सब्जी की खेती करना शुरू किया। साथ ही फसल में सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई की व्यवस्था की। उद्यानिकी विभाग ने बताया कि फसल में कब, कौन सा बीज या खाद देना है, किस तकनीक का उपयोग करना है। इस नई तकनीक की बदौलत वर्ष 2020-21 में मैंने एक हेक्टेयर भूमि में गुलाब और सब्जी से करीब 5 से 6 लाख की फसल पैदावार की।

गुलाब की खेती से हर साल कमा रहे डेढ़ लाख रुपयेः भयपुरा के राजू कुशवाह का भी यही हाल था। उद्यानिकी विभाग के अफसरों का कहना है कि राजू के पास रकवा भी कम था और मेहनत करने के बाद भी वह परंपरागत खेती से मुनाफा नहीं कमा पा रहा था, लेकिन जब उसे गुलाब की खेती करने की सलाह दी और गुलाब की खेती के लिए उसे उन्नत तकनीक भी सिखाई। यह भी बताया कि फूल की खेती में कब कौन सा रोग लग सकता है उससे कैसे निपटें और क्या खाद देना है। जब राजू ने बताई तकनीक पर काम किया तो 0.418 हेक्टेयर भूमि में गुलाब की फसल तैयार की व अन्य जमीन पर परंपरागत खेती की। गुलाब की खेती से राजू ने पिछले एक साल में डेढ़ लाख रुपये का लाभ कमाया।

पहले मुश्किल से होती थी गुजर-बसरः सुरेंद्र सिंह बघेल का कहना है कि पहले वह परंपरागत खेती कर बढ़ी मुश्किल से घर का खर्च चला पाते थे। पूरा परिवार खेती किसानी करता, लेकिन इसके बाद भी उन्हें लाभ कम मिलता था। फिर उन्होंने उद्यानिकी विभाग की मदद से 1.80 हेक्टेयर भूमि पर अमरूद के फलदार पेड़ लगाए। पेड़ों के बीच के खाली स्थान पर मुनगा और मैथी की फसल उगाई। जिससे उन्हें हर साल ढाई लाख रुपये की आमदनी प्राप्त होने लगी। वे पहले साल में एक बार फसल बेचने मंडी जाते थे, अब हर दूसरे दिन फसल मंडी जाती है, मुनाफा भी अच्छा मिलता है।

परंपरागत खेती साल में एक बार पैदा होती है, जिससे मुनाफा भी एक बार ही मिलता है, लेकिन उद्यानिकी फसल हर सप्ताह तैयार हो जाती है। जिसे हर सप्ताह मंडी ले जाकर बेचकर मुनाफा लिया जा सकता है। जिन तीन किसानों ने इसे अपनाया आज उनकी माली हालत में सुधार हुआ और उनके लिए खेती लाभ का व्यवसाय बन गया। अन्य किसान भी इन किसानों से सीखें और सब्जी, फूल व फल की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाएं। जिसमें उद्यानिकी विभाग उनका हर तरह से साथ देता है।

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स्रोत: Nai Dunia