शाकाहारी विदेशियों की पहली पसंद कटहल

April 16 2019

पांच साल पहले तक जो कटहल खेतों में पड़े-पड़े सड़ जाता था, किसान जिसे मुफ्त में ले जाने की पेशकश किया करते थे, आज वही कटहल शाकाहार अपनाने की कोशिशों में जुटे विदेशियों की पहली पसंद बन गया है। अमेरिका से लेकर ब्रिटेन और यूरोप तक कटहल की मांग जोर पकड़ रही है। आलम यह है कि 2018 में भारत से कटहल का वैश्विक निर्यात बढ़कर 500 टन तक हो गया। 2019 के अंत में इसके 800 टन तक पहुंचने का अनुमान है।

500 टन कटहल भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप भेजा वर्ष 2018 में

खेती आसान

कटहल के पेड़ पर ज्यादा ध्यान देनेे की जरूरत नहीं पड़ती। इसकी सिंचाई के लिए ज्यादा पानी भी नहीं चाहिए होता है। कटहल में कीट लगने की आशंका भी कम होती है, लिहाजा इसमें कीटनाशकों व अन्य रसायनों का इस्तेमाल न के बराबर होता है। तेजी से गर्म होते वातावरण में यह विश्व की खाद्य जरूरतें पूरी करने में अहम हो सकता है। श्री वी.एस. सुनील कुमार की मानें तो भारतीय किसान अब भी कटहल की अहमियत नहीं पहचान सके हैं। अकेले केरल में पैदा होने वाला एक तिहाई कटहल बर्बाद चला जाता है।

800 टन तक पहुंचने का अनुमान है कुल निर्यात वर्ष 2019 के अंत में

डायबिटीज रखे दूर

जुलाई 2018 में स्पेन में हुए एक शोध में दावा किया गया था कि कटहल कीमोथेरेपी से गुजर रहे कैंसर रोगियों में श्वेत रक्त कोशिकाओं का स्तर बनाए रखने में सहायक है। ये कोशिकाएं कीटाणुओं के खात्मे और संक्रमण से बचाव के लिए अहम मानी जाती है। दूसरी ओर रोम में हुए एक अध्ययन के दौरान इसमें चावल के मुकाबले कार्बोहाइड्रेट की मात्रा 40 फीसदी कम और फाइबर का स्तर चार गुना अधिक पाया गया है। लिहाजा स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे मोटापे और डायबिटीज से बचाव में भी मददगार करार देते हैं।

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स्रोत: Krishak Jagat