भूजल बचाने के लिए शुरू की गई मेरा पानी-मेरी विरासत योजना को सिरे चढ़ाने के लिए हरियाणा सरकार पूरी तरह जोर लगा रही है। जिलों के कृषि अफसरों को भी टारगेट दिया गया है। जिलों में कृषि एक्सटेंशन ऑफिसर गांव में विजिट करेंगे और रोजाना शाम को मुख्यालय में रिपोर्ट भेजेंगे कि उन्होंने कितने किसानों को धान की खेती छोड़ने के लिए जागरूक किया और उस किसान की धान का कितना रकबा दूसरी फसलों में डायवर्ट करवाया।
मेवात, गुरुग्राम, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ को छोड़कर सभी जिलों के उप कृषि निदेशकों को कृषि एवं कृषक कल्याण निदेशालय की ओर से निर्देश भेजे गए हैं। सरकार प्रदेश के 18 जिलों को इस योजना का हिस्सा बनाना चाहती है। ताकि किसान पानी के सर्वाधिक इस्तेमाल वाली धान की खेती को छोड़कर दलहनी, तिलहनी, बागवानी, मक्का, सरसों व बाजरा खेती की ओर डायवर्ट हों।
योजना के तहत सरकार धान के कुल 8.5 लाख हेक्टेयर रकबे में से 1 लाख हेक्टेयर रकबे को वैकल्पिक फसलों में डायवर्ट करना चाहती है। अभी तक इस योजना के तहत करीब 53 हजार किसानों ने 58421 हेक्टेयर रकबे में धान की बजाय दूसरी फसलें लगाने का फैसला ले लिया है। उधर, विगत दिनों केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी हरियाणा के किसानों से धान की खेती छोड़ अपना एग्रीकल्चर पैटर्न बदलने की उम्मीद जताई है।
फील्ड में कृषि अफसरों को जुटानी होगी ये रिपोर्ट
सभी जिलों में कृषि उपनिदेशक कार्यालय के तहत एक्सटेंशन ऑफिसर 19 जून तक रोजाना फील्ड में जाएंगे। विभिन्न गांवों के धान उत्पादकों से मिलेंगे। दिनभर फील्ड में घूमने के बाद शाम को ऑफिसर प्रोफार्मा में रोजाना रिपोर्ट भरकर मुख्यालय को भेजेंगे। इस प्रोफार्मा में एक्सटेंशन ऑफिसर अपना नाम भरते हुए यह बताएंगे कि उन्होंने किस गांव में विजिट किया है और वहां कितने किसानों से संपर्क किया है।
वहां उन्होंने कितने किसानों को धान की खेती छोड़ने को तैयार किया और उन गांव में कितना अनुमानित इलाका ऐसा है, जो अफसरों द्वारा किसानों को जागरूक करने के बाद मक्का और बाजरा में डायवर्ट हो सकता है। इस पूरी एक्सरसाइज के बाद संबंधित अफसर को प्रोफॉर्मा में अंक भी देने होंगे। फील्ड में अफसर उन गांवों को भी चिन्हित करेंगे जहां इस योजना के अच्छे परिणाम आने के ज्यादा आसार हैं।
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स्रोत: Amar Ujala