पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कहती रही हैं कि बंगाल ही देश का पथ प्रदर्शक बनेगा. अब वह बंगाल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी भारत में विकास का मॉडल बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं. ममता ने ग्राम बांग्ला में कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए ‘माटीर सृष्टी’ योजना की घोषणा की है जिसके तहत 50 हजार एकड़ खाली पड़ी भूमि को कृषि क्षेत्र में परिवर्तित कर उस पर यथाशीघ्र कृषि कार्य शुरू किया जाएगा. माटीर सृष्टी का हिंदी में भी सीधा अर्थ माटी की सृष्टी है. जाहिर है इसका अर्थ कृषि क्षेत्र में नया सृजन से है. ममता सरकार ने दावा किया है कि इस नई कृषि योजना से राज्य में ढाई लाख किसान व खेतीहर मजदूर लाभान्वित होंगे. करीब साढ़े छह हजार एकड़ खाली पड़ी जमीन पर कृषि संबंधी साढ़े पांच हजार माइक्रो प्रोजेक्ट पहले ही तैयार किए गए हैं. ममता ने इसे कृषि क्षेत्र में नवजागरण पैदा करने वाला ‘जय बंग्ला’ प्रोजेक्ट करार दिया है. इसलिए कि इन क्षेत्रों में अधिकांश बंजर भूमि को भी उपजाऊ बनाने की योजना सफल होगी. राज्य में पश्चिमांचल क्षेत्र के नाम से मशहूर छह जिलों बांकुड़ा, पुरूलिया, वीरभूम, झाड़ग्राम, पश्चिम बर्दवान व पश्चिम मेदिनीपुर में माटीर सृष्टी योजना पर काम शुरू किया जाएगा. ममता सरकार इसके लिए कोई ठेकेदार संस्था को नियुक्त नहीं करेगी. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के जरिए इस योजना को मूर्त रूप दिया जाएगा. इसके पीछे सरकार का उद्देश्य लॉकडाउन के कारण अन्य प्रदेशों से यहां लौटे मजदूरों को काम में लगाने का भी है.
पश्चिमांचल के जिन छह जिलों में 50 हजार एकड़ क्षेत्र को कृषि योग्य बनाया जाएगा उसमें कृषि के अतिरिक्त बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन आदि ग्रामीण उद्योग धंधे विकसित किए जाएंगे. किसानों के लिए 10- 20 एकड़ जमीन में विभिन्न तरह की कृषि आधारित योजनाएं शुरू की जाएगीं. परियोजना को मूर्त रूप देने में किसाना सहकारिता समिति और स्वयं सहायात समूह की भी समान रूप से भागीदारी होगी. इन क्षेत्रों में कृषि उत्पाद के विपणन में सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों को समान रूप से अवसर मिलेगा.
राज्य सचिवालय नवान्न सूत्रों के मुताबिक विश्वबैंक के सहयोग से ममता सरकार इसके लिए संबंधित जिलों को 5 हजार करोड़ रुपए का फंड उपलब्ध कराने जा रही है. जून- जुलाई में ही संबंधित जिलाधिकारियों को फंड उपलब्ध करा दिया जागा. जिलाधिकारियों के मार्फत माटीर सृष्टी योजना को मूर्त दिया जाएगा. उल्लेखनीय है कि 15 वें वित्त आयोग का स्पष्ट निर्देश है कि इस तरह की कृषि योजनाओं में 70 प्रतिशत राशि जिलाधाकारी के मार्फत खर्च होगी और शेष 30 प्रतिशत राशि बराबर- बराबर जिला परिषद और पंचायत समिति के मार्फत खर्च करनी होगी. जाहिर है 50 हजार एकड़ भूमि में माटीर सृष्टी योजना को मूर्त रूप देने पर ग्राम बांग्ला में कृषि अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और किसानों की क्रय क्षमता भी बढ़ेगी. पश्चिम बंगाल में कुल 52.05 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि है. वैसे राज्य में कृषि भूमि का दायरा 92 प्रतिशत तक है जिसमें राज्य के पूरे भौगोलिक क्षेत्र के 68 प्रतिशत हिस्से पर कृषि उपज होता है. 50 हजार एकड़ भूमि को और शामिल कर लेने से बंगाल में कृषि भूमि क्षेत्र का दायरा बढ़ जाएगा.
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स्रोत: कृषि जागरण