पंजाब में फसली विविधता में आई तेजी, गेहूं-धान से मुंह मोड़ने लगे किसान, आगे निकला एमपी

June 11 2020

पंजाब से पूरे देश का पेट भरने वाले प्रदेश का रुतबा जल्द ही छिन सकता है। सूबे को इस बार गेहूं की पैदावार के मामले में मध्य प्रदेश ने दूसरे स्थान पर ला दिया है, जबकि धान के मामले में भी मध्य प्रदेश पहले ही पंजाब से आगे निकल चुका है।

हालांकि इसका मुख्य कारण पंजाब के किसानों का फसली विविधता के प्रति बढ़ता रुझान ही है, क्योंकि इस साल रबी सीजन में राज्य ने गेहूं के निर्धारित 125 लाख टन के लक्ष्य को पार कर लिया है। रबी सीजन में गेहूं खरीद मामले में मध्य प्रदेश इस बार मामूली अंतर के साथ पंजाब से आगे निकल गया है, जिसने मध्य प्रदेश सरकार का उत्साह अवश्य बढ़ाया है।

मध्य प्रदेश में 127 लाख 67 हजार 628 टन गेहूं की खरीद दर्ज की गई है जबकि पंजाब में गेहूं खरीद का आंकड़ा 127.67 लाख का रहा है। पंजाब सरकार के लिए यह इसलिए संतोषजनक है क्योंकि सरकार ने खरीद का लक्ष्य 125 लाख टन ही निर्धारित किया था जबकि खरीद उससे ज्यादा हुई है। फिर भी, मध्य प्रदेश इस साल गेहूं खरीद में पंजाब को पछाड़कर पहले नंबर पर आ गया है।

मौसम बिगड़ने का बुरा असर

दूसरी ओर, कई सालों से पंजाब में कटाई सीजन में मौसम बिगड़ने का बुरा असर गेहूं और धान की फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है। इस बीच, भूजल की समस्या को देखते हुए राज्य सरकार भी कम पानी वाली फसलों की तरफ किसानों को मोड़ने की कोशिशों में जुटी है। राज्य में गेहूं और धान के रकबे में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है।

ताजा खरीफ सीजन के लिए राज्य सरकार ने धान का रकबा पिछले साल के 23 लाख हेक्टेयर से घटाकर 20 लाख हेक्टेयर तय किया है। कृषि निदेशक एसके ऐरी का कहना है कि फसल विविधता के तहत धान के बदले मक्का या कपास की खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। पंजाब में हालांकि बासमती की खेती बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।

कृषि निदेशक ने बताया कि पिछले साल जहां बासमती का रकबा 6.30 लाख हेक्टेयर था वहां इस साल 7 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य है। वहीं, मक्के का रकबा पिछले साल के 1.60 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर इस साल 3 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य है। कपास का रकबा पिछले साल के 3.92 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 4.80 लाख हेक्टेयर हो गया है और सरकार इसे पांच लाख हेक्टेयर तक ले जाना चाहती है।

ज्यादा चिंता की बात नहीं, अगले साल फिर होंगे पहले नंबर पर

पंजाब के कृषि सचिव काहन सिंह पन्नू का कहना है कि नए आंकड़े सूबे के लिए ज्यादा चिंता का विषय नहीं हैं क्योंकि मध्य प्रदेश की इस साल बढ़ी पैदावार अस्थायी है जबकि पंजाब में गेहूं की खेती नहरी पानी पर आधारित होने के कारण निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने में आसान है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में अभी तक खेती बारिश के पानी पर निर्भर है, जो अनिश्चितता की बात है। पन्नू ने दावा किया कि अगले साल पंजाब फिर से गेहूं के नए लक्ष्य के साथ पहले नंबर पर होगा।

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स्रोत: Amar Ujala