इन दिनों प्रदेश की हर मंडी में गेहूं की भरपूर आवक हो रही है। समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी सरकारी केंद्रों पर की जा रही है। लेकिन गेहूं खरीदी पर प्रति क्विंटल मिलने वाले बोनस के 160 रु. की राशि बिल में नहीं जोड़े जाने से किसान नाराज है। इसलिए सरकारी खरीदी केंद्रों के बजाय मंडी और खुले बाजार में गेहूं ज्यादा बिक रहा है।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष गेहूं का समर्थन मूल्य 1735 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था इस पर तत्कालीन राज्य सरकार ने 265 रुपए प्रति क्विंटल बोनस दिया था। इन दोनों राशियों को जोड़कर किसानों को 2000 प्रति क्विंटल की दर से एक साथ भुगतान किया गया था। इससे किसान खुश थे। लेकिन इस वर्ष गेहूं का समर्थन मूल्य 1840 रु. प्रति क्विंटल तय किया, लेकिन नई सरकार ने गेहूं पर बोनस की राशि 160 रु. प्रति क्विंटल देने की घोषणा की जो पिछले साल से 100 रुपए कम थी। लेकिन किसानों को बोनस की राशि का भुगतान अभी नहीं किया जा रहा है।
इस बारे में किसानों का आरोप है कि राज्य सरकार ने जान बूझकर बोनस की घोषणा देरी से की, ताकि तब तक आचार संहिता लग जाए और अभी बोनस की राशि का भुगतान नहीं करना पड़े। बता दें कि किसानों को समर्थन मूल्य पर खरीदे गए गेहूं के बिलों में बोनस की राशि वाले स्थान को खाली छोड़ा जा रहा है। इस बारे में अधिकारियों का कहना है कि आचार संहिता लगने से अभी किसानों को बोनस की राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है। चुनाव बाद आचार संहिता खत्म होने पर संबंधित किसानों के खातों में बोनस की राशि जमा करा दी जाएगी।
इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है|
स्रोत: Krishak Jagat