अग्रिम भंडारण में कमी से आ सकता है उर्वरक संकट

April 16 2019

हालांकि प्रदेश के कृषि मंत्रालय ने परम्परा का निर्वहन करते हुए 31 मई 2019 तक के लिए अग्रिम भण्डारण योजना जारी कर दी है, साथ ही योजना के लिये मार्कफेड से लेकर किसान स्तर तक के लिए लक्ष्यों की खानापूर्ति भी कर दी है। मार्कफेड ने भी अपने अग्रिम भण्डारण के लक्ष्य 9.40 लाख मे. टन के उर्वरक क्रय के आदेश जारी कर दिये हैं। जबकि मार्कफेड के भण्डार गृहों में लगभग 2 लाख 70 हजार मे. टन उर्वरक का स्टॉक पहले से ही है। सहकारी समितियों के गोदामों में भी लगभग डेढ़ लाख टन उर्वरक रखा हुआ है। लेकिन किसान स्तर पर उर्वरक उठाव नगण्य है। ऐसी स्थिति में नये उर्वरक के भण्डारण की व्यवस्था बिगडऩे लगी है।

कृषि विभाग का मैदानी अमला चुनावी व्यस्तता के चलते किसानों को अग्रिम उठाव के लिए प्रेरित नहीं कर पा रहा है। कृषि ऋण में राहत की चुनावी घोषणाओं के कारण सहकारी समितियों और सहकारी बैंकों की ऋण वसूली प्रभावित हो रही है और वे धीरे-धीरे गहरे वित्तीय संकट की गर्त में गिरते जा रहे हैं। जिसका अपरोक्ष असर मार्कफेड जैसी नोडल एजेन्सी पर भी पड़ रहा है। जिसके कारण भी समितियों को उर्वरक की आपूर्ति बाधित हो रही है। उर्वरक उद्योग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि चूंकि सीजन में उर्वरक की आवश्यक मात्रा की आपूर्ति संभव नहीं हो पाती है इसलिए शासन द्वारा अग्रिम भण्डारण व उर्वरक उठाव की व्यवस्था की जाती है। इस व्यवस्था में भण्डारण के लिए गोडाउन की व्यवस्था भी एक महत्वपूर्ण बिन्दु है। लेकिन इस व्यवस्था के क्रियान्वयन में शासन- प्रशासन की अन्यत्र व्यवस्तता या उदासीनता के कारण प्रदेश में उर्वरक की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है जिसके कारण किसान एक बार फिर लाईन लग कर प्रशासन के डण्डे खा रहा होगा।

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स्रोत: Krishak Jagat