खेतों में पराली जलाने से हो रहे प्रदूषण पर अब सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है जिसके बाद से केंद्र सरकार भी अब काफी गंभीर कदम उठाने में लग गई है. दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रो एक्टिव गर्वनेंस एंड टाइमली इम्पलिमेंटेशन (प्रगति) की 31वीं बैठक की अध्यक्षता की. प्रधानमंत्री ने बैठक के बाद कृषि विभाग, किसान कल्याणकारी विभाग को पंजाब, हरियाणा और यूपी राज्य के किसानों को प्राथमिकता के आधार पर उपकरण दिए जाने के निर्देश दिए. दिल्ली - एनसीआर में प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने आपातकालीन बैठक आयोजित की थी. जिसपर वह खुद प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर 24 घंटे नजर रखेंगे. प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गाबा ने भी इस मुद्दे पर उच्चस्तरीय बैठक की.
इससे पहले, पराली जलाने के कारण दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में होने वाले वायु प्रदूषण के संबंध में 2017 में प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया था. समिति ने फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए तकनीकी तरीके अपनाने की सिफारिश की है. इसके आधार पर कृषि और किसान मंत्रालय ने एक योजना तैयार की जिसे 2018-19 के बजट में शामिल किया गया था. केन्द्र सरकार की इस योजना को 1151. 80 करोड़ रूपए की लागत से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण की समस्या से निबटने के लिए 2018-19 से 2019-20 तक लागू किया जाना है. इसके तहत पराली निबटाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तकनीकी उपकरण सरकार की ओर से रियायती दरों पर उपलब्ध कराए जाएंगे. योजना के लागू होने के एक साल के अंदर देश के उत्तर पूर्वी राज्यों में आठ लाख हेक्टेयर भूमि पर 500 करोड़ रूपए के खर्च से हैप्पी सीडर / जीरो टिलेज तकनीक इस्तेमाल में लायी गई. योजना के तहत किसानों को तकनीकी तरीके से फसल अवशेष निबटाने के उपकरणों की खरीद पर सरकार की ओर से 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी.
रियायती दरों पर उपकरण उपलब्ध कराने की योजना के तहत 2018-19 के दौरान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार के लिए क्रमशः 269.38, 137.84 और 148.60 करोड़ रुपये जारी किए गए. वर्ष 2019-20 के दौरान अब तक पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार को क्रमशः 273.80, 192.06 और 105.29 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं. इन पैसों की मदद से अब तक 29,488 मशीने खरीदी गई हैं, जिनमें से 10379 मशीनें सीधे किसानों को दी गई हैं और 19109 मशीनें सीएचसी को दी गईं.
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स्रोत: कृषि जागरण