चकोतरा की पहली बिना बीज वाली किस्म तैयार, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में है मददगार!

March 07 2020

पूसा के वैज्ञानिकों ने चकोतरा फल की पहली बीज रहित किस्म पूसा अरुण तैयार करने में सफलता पाई है। संभवतः यह दुनिया में चकोतरा की पहली बीज रहित किस्म है। बेहद रसीले फल वाला चकोतरा पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में विशेष पसंद किया जाता है। छठ पूजा के दौरान इसकी विशेष मांग होती है। चकोतरा में रोग प्रतिरोधी क्षमता होती, जो कोरोनावारयस से बचाव करने में मददगार है।

चकोतरा के सामान्य फलों का साइज 1200 ग्राम या इससे ऊपर तक होता है। बड़े साइज का इसका आकार लोगों के लिए परेशानी का कारण बनता है।

वैज्ञानिकों ने इसे भी घटाकर लगभग 350 से 500 ग्राम तक करने में सफलता पाई है, जो लोगों के बीच ज्यादा लोकप्रिय हो सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि चकोतरा की नई किस्म बोकर किसान हर पेड़ से लगभग दो हजार रुपये तक की कमाई कर सकते हैं।

क्या है नई किस्म की विशेषता

चकोतरा (Pummelo) की नई किस्म तैयार करने वाले वैज्ञानिक डॉक्टर अनिल कुमार दुबे ने अमर उजाला को बताया कि इसकी पुरानी किस्म साइज में बड़ी (1200 से 1300 ग्राम तक) होने के बाद भी अपेक्षाकृत कम रसीली होती है। लेकिन नई किस्म के कुल वजन का लगभग 41.13 फीसदी हिस्सा रस का ही होगा।

इस तरह नई किस्म के छोटे साइज (350 से 500 ग्राम तक लगभग) के बाद भी यह ज्यादा रस देगा। नई किस्म पूरी तरह मीठी होगी और खट्टापन न के बराबर होगा। ज्यादा बड़ा साइज होने से भी लोग इसे लेने में हिचकते थे, क्योंकि काटे फल को ज्यादा देर तक खुले में रखना ठीक नहीं होता, इसलिए इसे एक ही बार में खत्म करने की मजबूरी होती है, जो कई बार संभव नहीं होता। जबकि नई किस्म छोटी है जिसे बच्चों को या कम भूख लगने पर एक बार में ही इस्तेमाल किया जा सकता है।

किसानों को फायदा

चकोतरा की नई किस्म की सबसे बड़ी विशेषता यह होगी कि इसे ज्यादा समय तक पेड़ों पर ही सुरक्षित रखा जा सकेगा। इसे पकने की स्थिति में भी पेड़ों पर दो से तीन महीने तक छोड़ा जा सकेगा।

इससे किसानों के ऊपर भंडारण की कीमत नहीं आती और फलों की कीमत बाजार में कम होने की स्थिति में कुछ समय तक के इंतजार के लिए इसे पेड़ों पर ही छोड़ा जा सकता है। इसके पकने का समय अक्टूबर से फरवरी तक होता है जब बाजार में अन्य मीठे फल नहीं होते। इस तरह भी यह लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प बनता है। 

इसकी बुवाई जुलाई से सितंबर माह के बीच या फरवरी-मार्च माह में की जा सकती है। इसे आजकल के मौसम में भी उगाया जा सकता है। 

नई किस्म के पेड़ का आकार छोटा होता है, इसलिए इसे सघन बागवानी में 4x4 या 4x5 मीटर की दूरी पर उगाया जा सकता है, जबकि पुरानी किस्म के बड़े पेड़ 7x7 मीटर जगह लेते हैं जो कम उपयोगी होता है। 

हर पेड़ से लगभग 45-46 किलोग्राम तक फल प्राप्त किया जा सकता है। चकोतरा की नई किस्म को पूसा से प्राप्त किया जा सकता है। नई किस्म को संस्थान के 58वें दीक्षांत समारोह (1-3 मार्च) में लोगों के सामने पेश किया गया था।

स्वास्थ्य में लाभ

चकोतरा भी लोगों में रोग प्रतिरोधी क्षमता पैदा करने में सहायक होता है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट खूब प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें सूक्ष्म मात्रा में (0.39 फीसदी) साइट्रिक एसिड भी पाया जाता है, जो इसके स्वाद और उपयोगिता को बढ़ाता है और लोगों को बहुत पसंद आता है।


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स्रोत: अमर उजाला