सरकार की ओर से कई बार कर्जमाफी का लाभ दिए जाने के बाद भी अन्नदाताओं के सिर से कर्ज का बोझ कम नहीं हो रहा है। जनपद में किसानों पर बैंकों का 2,091 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। सुचारु रूप से लिए गए कर्ज की अदायगी न कर पाने की वजह से किसानों पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। केंद्र की यूपीए सरकार के दौर में किसानों को कर्जमाफी का लाभ दिया गया था। इसके बाद प्रदेश में बनी अखिलेश सरकार ने भी किसानों का कर्ज माफ किया था।
हालांकि, तब केवल भूमि विकास बैंक के बकायेदार किसानों का ही कर्जमाफ किया गया था। इसके बाद प्रदेश में बनी भाजपा सरकार ने भी किसानों का कर्जमाफ किया। बावजूद, किसान बैंकों के बड़े बकायेदार हैं। झांसी जनपद में दो लाख किसानों पर विभिन्न बैंकों का 2,091 करोड़ रुपये बकाया है। इसमें से ज्यादातर किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के जरिये बैंकों से कर्ज ले रखा है। सुचारु रूप से कर्ज की अदायगी न कर पाने की वजह से किसानों से ब्याज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। नियमित रूप से बैंकों को कर्ज चुकाने वाले किसानों को महज चार प्रतिशत ब्याज देना पड़ता है, लेकिन खाता अनियमित हो जाने पर ब्याज दर 13 प्रतिशत तक हो जाती है।
170 करोड़ के नुकसान की भरपाई 43 करोड़ से
पिछले खरीफ सीजन में बेमौसम बारिश की वजह से जिले में किसानों को एक अरब सत्तर करोड़ छप्पन लाख रुपये का नुकसान हुआ था। स्थानीय प्रशासन ने नुकसान की भरपाई के लिए किसानों से ये रकम मांगी थी। लेकिन, सरकार की ओर से महज 43 करोड़ रुपये ही दी गई है, जो किसानों के खाते में भेजी जा रही है। वहीं, चालू रबी सीजन में भी बारिश और ओले गिरने से जिले में कई इलाकों में किसानों को खासा नुकसान हुआ है। कुदरत की ये बेरुखी किसानों पर कर्ज को बोझ बढ़ा रही है।
ये बोले किसान
आज के दौर में खेती फायदे का सौदा नहीं रह गई है। कभी पानी की कमी से फसल बर्बाद हो जाती है, तो कभी बेमौसम बारिश हो जाती है। कुदरत की इस बेरुखी से किसानों की लागत और मेहनत दोनों ही बर्बाद हो जाती है। इससे किसान पनप नहीं पा रहा है।
- साहब सिंह, उजयान
किसान कर्ज के दलदल में फंसा हुआ है। मूल रकम समय से वापस न करने की वजह से ब्याज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। उस पर दैवी आपदा भी पीछा नहीं छोड़ रही हैं। इन परिस्थितियों में किसानों की आय बढ़ने की जगह कर्ज बढ़ता जा रहा है।
- परमवीर यादव, बसारी
खरीफ में बेमौसम बारिश हो गई, इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ। रबी के सीजन में भी बारिश पीछा नहीं छोड़ रही है। ये परिस्थितियां किसानों के अनुकूल नहीं हैं। इससे किसानों को नुकसान होने पर उन पर कर्ज का बोझ बढ़ जाता है।
- केशव सिंह परिहार, कुरैठा
पारंपरिक खेती किसानों के लिए लाभ का सौदा साबित नहीं हो रही है। किसानों को खेती के नये तरीके अपनाने चाहिए। इसके लिए सरकार का प्रोत्साहन बेहद जरूरी है। जब तक खेती फायदे का सौदा साबित नहीं होगी, तब तक किसान कर्ज में दबा रहेगा।
- प्रदीप यादव, टांडा
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स्रोत: अमर उजाला