अदरक की खेती

आम जानकारी

अदरक भारत की एक अहम मसाले वाली फसल है। भारत अदरक की पैदावार में सबसे आगे है। कर्नाटक, उड़ीसा,  अरूणाचल प्रदेश,  आसाम,  मेघालय और गुजरात अदरक पैदा करने वाले मुख्य प्रांत है।

जलवायु

  • Season

    Temperature

    12-35°C
  • Season

    Rainfall

    1500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25°-33°C
  • Season

    Temperature

    12-35°C
  • Season

    Rainfall

    1500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25°-33°C
  • Season

    Temperature

    12-35°C
  • Season

    Rainfall

    1500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25°-33°C
  • Season

    Temperature

    12-35°C
  • Season

    Rainfall

    1500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    30-35°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25°-33°C

मिट्टी

यह फसल अच्छे जल निकास वाली चिकनी,  रेतली और लाल हर तरह की मिट्टी में उगाई जा सकती है। खेत में पानी ना खड़ा होने दें क्योंकि खड़े पानी में यह ज्यादा देर बच नहीं पाएगी। फसल की वृद्धि के लिए 6-6.5 पी एच वाली मिट्टी अच्छी मानी जाती है। उस खेत में अदरक की फसल ना उगाएं जहां पिछली बार अदरक की फसल उगाई गई हो। हर साल एक ही ज़मीन पर अदरक की फसल ना लगाएं।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

IISR Varada:  यह किस्म ताजा और सूखे अदरक की पैदावार के लिए अच्छी मानी जाती है। यह 200 दिनों में पकती है और इसकी औसतन पैदावार 90 क्विंटल प्रति एकड़ है।
IISR Mahima
 
Karthika
 
Suprabha
 
Suruchi
 
दूसरे राज्यों की किस्में
 
हरे अदरक के लिए किस्में : Rio-De-Janerio, china, Varadha
शुष्क अदरक के लिए किस्में :  Maran, Nadia
 

ज़मीन की तैयारी

खेत को दो तीन बार जोतें और सुहागे से समतल करें। अदरक की बिजाई के लिए 15 सैं.मी. ऊंचे और 1 मीटर चौड़े बैड बनाएं। दो बैडों के बीच 50 सैं.मी. का फासला रखें।

बिजाई

बिजाई का समय
बिजाई मई-जून के पहले सप्ताह में की जाती है।
 
फासला
पौधों में 15-20 सैं.मी. पंक्तियों की दूरी और एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 30 सैं.मी. होनी चाहिए।

बीज की गहराई
बीज की गहराई 3-4 सैं.मी.  के करीब होनी चाहिए।
 
बिजाई का ढंग
अदरक की बिजाई सीधे ढंग से और पनीरी लगाकर की जा सकती है।
 

बीज

बीज की मात्रा
बिजाई के लिए ताजे और बीमार रहित गांठों का प्रयोग करें। बिजाई के लिए 480-720 किलो प्रति एकड़ बीज का प्रयोग करें।
 
बीज का उपचार
बिजाई से पहले गांठों को मैनकोजेब 3 ग्राम प्रति लीटर पानी से उपचार करें। गांठों को 30 मिनट के लिए घोल में भिगो दें। इससे गांठों को फफूंदी से बचाया जा सकता है। उपचार के बाद गांठों को 3-4 घंटें के लिए छांव में सुखाएं।
 

खाद

खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA SSP MURIATE OF POTASH
55 60 16

 

तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
25 10 10

 

खेत की तैयारी के समय मिट्टी में 150 क्विंटल प्रति एकड़ रूड़ी की खाद डालें। नाइट्रोजन 25 किलो (55 किलो यूरिया), फासफोरस 10 किलो (60 किलो सिंगल सुपर फासफेट) और पोटाश 10 किलो (16 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश) की मात्रा प्रति एकड़ में प्रयोग करें। पोटाश और फासफोरस की पूरी मात्रा बिजाई के समय डालें। नाइट्रोजन की मात्रा को दो बराबर भागों में बांटें। पहला हिस्सा बिजाई के 75 दिन बाद और बाकी हिस्सा बिजाई के 3 महीने बाद डालें।

 

 

 

खरपतवार नियंत्रण

बिजाई के 3 दिन बाद एट्राज़िन 4-5 ग्राम प्रति लीटर पानी की नमी वाली मिट्टी पर स्प्रे करें। उन नदीनों को खत्म करने के लिए जो पहली नदीन नाशक स्प्रे के बाद पैदा होते हैं, बिजाई के 12-15 दिनों के बाद गलाइफोसेट 4-5 ग्राम प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें। नदीन नाशक की स्प्रे करने के बाद खेत को हरी खाद से या धान की पराली से ढक दें।
 
जड़ों के विकास के लिए जड़ों में मिट्टी लगाएं। बिजाई के 50-60 दिनों के बाद पहली बार जड़ों में मिट्टी लगाएं और उसके 40 दिन बाद दोबारा मिट्टी लगाएं।

सिंचाई

अदरक की फसल की सिंचाई वर्षा की तीव्रता और आवर्ती के आधार पर करें।
 
बिजाई के बाद फसल को 50 क्विंटल प्रति एकड़ हरे पत्तों से ढक दें। प्रत्येक खाद डालने के बाद 20 क्विंटल प्रति एकड़ हरे पत्तों से फसल को दोबारा ढकें।
 

पौधे की देखभाल

जड़ों का गलना
  • बीमारियां और रोकथाम
जड़ों का गलना : इस बीमारी को रोकने के लिए फसल को बिजाई के 30, 60 और 90 दिनों के बाद मैनकोजेब 3 ग्राम प्रति लीटर या मैटालैक्सिल 1.25 ग्राम प्रति लीटर में डुबोदें।
 
मुरझाना
मुरझाना : इस बीमारी को रोकने के लिए बीमारी दिखने के तुरंत बाद कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में पौधों को भिगोदें।
 
एंथ्राक्नोस : यदि यह बीमारी आए तो हैक्साकोनाज़ोल 10 मि.ली. या मैनकोज़ेब 75 डब्लयु पी 25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी +10 मि.ली. स्टिकर की स्प्रे करें।
 
पत्तों पर धब्बे और सड़ना : यदि यह बीमारी दिखे तो मैनकोजेब 30 ग्राम या कार्बेनडाज़िम 10 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर 15-20 दिनों के फासले पर स्प्रे करें या प्रॉपीकोनाज़ोल 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें।
पत्तों पर धब्बे
पत्तों पर धब्बे : इस बीमारी को रोकने के लिए मैनकोज़ेब 20 ग्राम और कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी की स्प्रे करें।

 

पौधे की मक्खी
  • हानिकारक कीट और रोकथाम
पौधे की मक्खी : यदि इस मक्खी का हमला खेत में दिखे तो इसे रोकने के लिए एसीफेट 75 एस पी 15 ग्राम को 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें और 10 दिनों के बाद दोबारा स्प्रे करें।

शाख का कीट

शाख का कीट : यदि शाख के कीट का हमला दिखे तो  इसे रोकने के लिए डाइमैथोएट 2 मि.ली. प्रति लीटर या क्विनलफॉस 2.5 मि.ली.  प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें।

रस चूसने वाले कीड़े
रस चूसने वाले कीड़े : इन्हें रोकने के लिए नीम से बने कीटनाशक जैसे कि अझादिरैक्टिन 0.3 ई सी 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें।

फसल की कटाई

यह फसल 8 महीनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यदि फसल का प्रयोग मसाले बनाने के लिए करना हो तो 6 महीने बाद कटाई करें और यदि नए उत्पाद बनाने के लिए प्रयोग करना हो तो फसल की कटाई 8 महीने बाद करें। जब पत्ते पीले हो जायें और पूरी तरह सूख जायें तब कटाई के लिए सही समय होता है। गांठों को उखाड़कर बाहर निकालें और 2-3 बार पानी से धोकर साफ करें। फिर 2-3 दिनों के लिए छांव में सुखाएं।

कटाई के बाद

शुष्क अदरक के लिए अदरक की गांठों का सिर्फ ऊपर वाला छिल्का ही उतारें और 1 सप्ताह के लिए धूप में सुखाएं| शुष्क अदरक की पैदावार हरे अदरक की 16-25 प्रतिशत होती है।

स्टोर करना : ताजी और बीमारी रहित गांठें चुनें और कार्बेनडाज़िम + मैनकोज़ेब 40 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल से 30 मिनट के लिए उपचार करें। इससे गांठों को गलने से बचाया जा सकता है। फिर गांठों को छांव में सुखाएं। गांठों को सही आकार के गड्ढे में भरें और ढकने के समय हवा के लिए 2-3 छेद रखें। गड्ढे भरने से पहले उनमें 1 इंच मोटी रेत की परत बिछा दें।
 

रेफरेन्स

1.Punjab Agricultural University Ludhiana

2.Department of Agriculture

3.Indian Agricultural Research Instittute, New Delhi

4.Indian Institute of Wheat and Barley Research

5.Ministry of Agriculture & Farmers Welfare