गुलनार फसल की जानकारी

आम जानकारी

गुलनार दुनिया का सब से ज्यादा महत्तवपूर्ण कट फलावर है। यह व्यापारक तौर पर सबसे अच्छे फूल माने जाते हैं क्योंकि ये ज्यादा देर तक ताजा रहते हैं, जिससे इन्हें लंबी दूरी पर लेकर जाने में मुश्किल नहीं होती और इसे रिहाइड्रेशन से ताजा रखा जा सकता है, जो कि इसकी मुख्य क्वालिटी है। यूरोप और एशिया में इसकी खेती बड़े स्तर पर की जाती है, पर भारत में इसकी खेती छोटे स्तर पर की जाती है। हिमाचल प्रदेश, पंजाब, पश्चिमी बंगाल, जम्मू कश्मीर और कर्नाटक मुख्य गुलनार उगाने वाले प्रांत हैं। यह फूल अलग-अलग रंगों में पाये जाते हैं, जैसे कि पीले, गुलाबी, पीले-जामुनी आदि।

मिट्टी

इसकी खेती किसी भी तरह की मिट्टी में की जा सकती है, पर अच्छे निकास वाली मिट्टी में यह अच्छी पैदावार देती है। अच्छी रेतली दोमट मिट्टी गुलनार की खेती के लिए उत्तम मानी जाती है। उचित वृद्धि के लिए मिट्टी का pH 5.5-6.5 होना चाहिए।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

इन फूलों को दो मुख्य भागों में बांटा जा सकता है

1) Standard Carnations: Ariane, Corso, Candy Master and Tanga, Solar, Star, Athena, Happy Golem, White Liberty, Emotion, White Dona, Lisa, Domingo, Master, Gaudina

2) Spray Carnations: Rhodos, Alliance, Barbara, and West Moon.Estimade, Indira, Vera, Durago, Berry, Orbit Plus, Sunshine, Autumn, Rosa Bebe, Spur, Suprema.

ज़मीन की तैयारी

इसकी खेती के लिए बैड तैयार करें। बैड 15-20 सैं.मी. ऊंचे, 1-1.2 मीटर चौड़े और आवश्यक लंबाई के तैयार करें। बैडों के बीच का फासला 45-60 सैं.मी. रखें।

बिजाई

बिजाई का समय
ग्रीन हाउस के नियंत्रित वातावरण में यह सारा साल उगाये जा सकते हैं। उत्तरी मैदानों के लिए, बिजाई आमतौर पर सितंबर-नवंबर महीने में की जाती है और फूलों की कटाई फरवरी से अप्रैल महीने तक की जाती है।

फासला
इसकी बिजाई के लिए पौधे के भाग का प्रयोग किया जाता है। बीज बैड के बिल्कुल ऊपर 15x15 सैं.मी. या 20x20 सैं.मी. के फासले पर बोये जाते हैं। बैडों के बीच का फासला 45-60 सैं.मी. रखें।

बिजाई का ढंग
बैडों के ऊपर पौधे के भाग को बोया जाता है।

बीज

बीज की मात्रा
एक एकड़ के लिए लगभग 75000 पौधे के भागों की जरूरत होती है। 21 दिनों में आमतौर पर अच्छे तरीके से जड़ें विकसित हो जाती हैं।

बीज का उपचार
बिजाई से पहले, पौधे के भागों को एन ए ए 1000 पी पी एम (1 ग्राम प्रति लीटर पानी) से उपचार करें। यह जड़ों के विकास को और सुधारता है।

खाद

खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA SSP MURIATE OF POTASH
67 125 17

 

तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN
PHOSPHORUS POTASH
30 20 10

 

फसल के अच्छे विकास के लिए, खादों को उचित मात्रा में डालें। खेत की तैयारी के समय 10-15 टन रूड़ी की खाद डालें। ग्रीन हाउस में नाइट्रोजन 30 ग्राम (यूरिया 67 ग्राम), फासफोरस 20 ग्राम (सिंगल सुपर फासफेट 125 ग्राम) और पोटाश 10 ग्राम (म्यूरेट ऑफ पोटाश 17 ग्राम) डालें।

खरपतवार नियंत्रण

एक पत्र नदीनों की रोकथाम के लिए, ग्लाइफोसेट 300 ग्राम प्रति एकड़ और दोमुहें नदीनों के लिए ऑक्सीफ्लोरफेन 200 ग्राम प्रति एकड़ अंकुरण से पहले डालें|

सिंचाई

गुलनार की फसल को थोड़े-थोड़े समय के बाद पानी देते रहें। गर्मियों में हर सप्ताह 2-3 बार पानी दें, जब कि सर्दियों में 15 दिनों के फासले पर 2-3 बार पानी दें। बिजाई के तुरंत बाद पानी दें।

पौधे की देखभाल

लाल मकौड़ा जूं
  • कीट और रोकथाम

लाल मकौड़ा जूं: यह इस फसल का गंभीर कीड़ा है। यह पत्ते खाते हैं और उनका रस चूसते हैं, जिससे पत्ते पीले पड़ जाते हैं।

यदि इसका हमला दिखे तो, घुलनशील सलफर 1.5 ग्राम या प्रोपरगाइट 1 मि.ली. या फैनेजाकुइन 1 मि.ली. या डिकोफोल 1.5 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

कली छेदक

कली छेदक: यह भी गुलनार की फसल का गंभीर कीट है। यह कली पर अंडे देता है और इसका लार्वा कली को अंदर से खाता है और अंत में सारी कली को नष्ट कर देता है।

यदि इसका हमला दिखे तो प्रोकलेम 0.2 मि.ली. या डैल्टामैथरीन 0.5 मि.ली. या इंडोक्साकार्ब 0.5 मि.ली. या थायोडीकार्ब 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें।

चेपा और थ्रिप

चेपा और थ्रिप: यह पत्तों का रस चूसते हैं, जिससे पौधे पीले पड़ जाते हैं। यह शहद की बूंद जैसा पदार्थ छोड़ते हैं और प्रभावित हिस्सों पर काले रंग की फंगस बन जाती है।

यदि इसका हमला दिखे तो, फिप्रोनिल 1.5 मि.ली. या इमीडाक्लोप्रिड 0.5 मि.ली. या एसेटामिप्रिड 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें।

मुरझाना
  • बीमारियां और रोकथाम

मुरझाना: यह गुलनार की गंभीर बीमारी है। इससे पौधा मुरझाने के साथ साथ ज़मीन की सतह से नीचे से गलना शुरू हो जाता है। गंभीर हालातों में पौधा तेजी से नष्ट हो जाता है।

इसकी रोकथाम के लिए प्रभावित पौधों को हटा दें और मिट्टी में रिडोमिल 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर डालें।

पत्तों पर धब्बे

पत्तों पर धब्बे: पत्तों, तने और कई बार फूलों पर भी जामुनी रंग के छोटे-छोटे धब्बे पाये जाते हैं। गंभीर हालातों में पौधा नष्ट हो जाता है।

यदि इसका हमला दिखे तो ज़िनेब 1 ग्राम या मैनकोजेब 1.5 ग्राम या हैक्साकोनाज़ोल 1 मि.ली. या प्रोपीकोज़ोल 1 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

कुंगी

कुंगी: इससे तने और पत्तों पर लाल गहरे भूरे रंग का पाउडर जैसा पदार्थ बन जाता है। गंभीर हमला होने पर पत्ते पीले पड़ जाते हैं और पौधा नष्ट हो जाता है।

इसकी रोकथाम के लिए मैनकोजेब 1.5 ग्राम प्रति लीटर या ज़िनेब 1 ग्राम प्रति लीटर और सलफर 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें।

फसल की कटाई

कटाई का समय कली के आकार और पत्तियों के विकास पर निर्भर करता है। इसकी कटाई हमेशा सुबह के समय करें। मुख्य पौधे और तने को  नुकसान पहुंचाये बिना तने को तीखे चाकू से काटें। उत्पादन के समय हर दो दिन बाद फूल काटें। कटाई के तुरंत बाद फूलों को पानी या सुरक्षित घोल (सिटरिक एसिड 5 मि.ली.+ एसकार्बिक एसिड 5 मि.ली. प्रति लीटर पानी) में कम से कम 4 घंटे के लिए रखें। काटे हुए फूल सीधी धूप में ना रखें।

कटाई के बाद

कटाई पूरी होने के बाद छंटाई करें और फिर उचित गुच्छे बनाएं। फिर फूलों को 2-4 डिगरी सैल्सियस तापमान पर कोल्ड स्टोर में रखें।

रेफरेन्स

1.Punjab Agricultural University Ludhiana

2.Department of Agriculture

3.Indian Agricultural Research Instittute, New Delhi

4.Indian Institute of Wheat and Barley Research

5.Ministry of Agriculture & Farmers Welfare