मकचरी की खेती

आम जानकारी

मकचरी का वानस्पातिक नाम यूकैलिआना मैक्सीकाना है| यह रसीले चारे की फसल है,जिसका औसतन कद 6-10 फीट होता है| इसके पत्ते लम्बे और चौड़े होते हैं| पौधे की चारों तरफ बहुत लम्बी शाखाएं होती है| मादा पौधे जब पूरी तरह तैयार हो जाते हैं और फूल और शाखाएं निकल आती हैं, तो उसे मुख्य भाग को बलियां कहा जाता है, इसमें 5-12 दाने होते हैं| इसका मूल स्थान मैक्सिको और केन्द्री अमेरिका है| भारत में पंजाब सबसे ज्यादा मकचरी उगाने वाला राज्य है| यह मुख्य तौर पर नवंबर के महीने में चारा पैदा करने वाली फसल है और लम्बे समय तक हरी रहती है|

जलवायु

  • Season

    Temperature

    21-32°C
  • Season

    Rainfall

    50-75 cm
  • Season

    Sowing Temperature

    28-32°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    19-26°C
  • Season

    Temperature

    21-32°C
  • Season

    Rainfall

    50-75 cm
  • Season

    Sowing Temperature

    28-32°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    19-26°C
  • Season

    Temperature

    21-32°C
  • Season

    Rainfall

    50-75 cm
  • Season

    Sowing Temperature

    28-32°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    19-26°C
  • Season

    Temperature

    21-32°C
  • Season

    Rainfall

    50-75 cm
  • Season

    Sowing Temperature

    28-32°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    19-26°C

मिट्टी

यह फसल चिकनी से रेतली मिट्टी में उगाई जा सकती है| यह भारी मिट्टियों में बढ़िया पैदावार देती है| हल्की रेतली ज़मीनों में इसकी खेती ना करें क्योंकि यह फसल के विकास पर बुरा प्रभाव डालती है| बढ़िया विकास के लिए मिट्टी का pH 5.8-7.0 होना चाहिए|

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

TL 1: यह किस्म 1993 में तैयार की गई है| इस किस्म का पौधा दानों के सुरंगी कीटों का रोधक होता है| इसके पत्ते पकने तक हरे रहते हैं| इसके बीजों की परत सख्त होती है और स्लेटी-भूरे रंग के होते हैं|

दूसरे राज्यों की किस्में

Sirsa improved और Rhuri नाम की किस्में भी तैयार की गई हैं|

ज़मीन की तैयारी

मकचरी की बिजाई के लिए, ज़मीन को अच्छी तरह से तैयार करें| ज़मीन को बढ़िया तरीके से समतल करने के लिए एक बार हैरो से जोताई करें और फिर दो बार सुहागा फेरें| फसल की बिजाई तैयार किये बैडों पर की जाती है|

बिजाई

बिजाई का समय
मई-जून महीने में नर्सरी तैयार करें और जून-जुलाई महीने में बीजों की बिजाई करें| अगस्त में बिजाई ना करें, क्योंकि इससे पैदावार कम हो जाती है|

फासला
पौधे के विकास अनुसार बीजों को 30x40 सैं.मी. के फासले पर बोयें|

बीज की गहराई
बीज को 3-4 सैं.मी. गहराई पर बोयें|

बिजाई का ढंग
बिजाई केरा विधि या बिजाई वाली मशीन की सहायता से की जाती है|

बीज

बीज की मात्रा
बढ़िया अंकुरण वाली किस्मों के लिए 16 किलो प्रति एकड़ बीजों का प्रयोग करें|

खाद

खादें(किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA (at the time of sowing) UREA(30 days after sowing) SSP and MOP
44 44 Depending upon soil test results

 

तत्व(किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN (at the time of sowing) NITORGEN (30 days after sowing) SSP and MOP
20 20 Depending upon soil test results

 

खेत की तैयारी समय,रूड़ी की खाद 8 टन प्रति एकड़ डालें| नाइट्रोजन 20 किलो(यूरिया 44 किलो) की मात्रा का प्रति एकड़ में प्रयोग करें| बिजाई से एक महीने बाद नाइट्रोजन 20 किलो(यूरिया 44 किलो) का छींटा दें|

खरपतवार नियंत्रण

नदीनों की प्रभावशाली रोकथाम के लिए बार-बार गोड़ाई करते रहें| अगर नदीनों पर काबू ना पाया जाए तो पैदावार में बहुत कमी आती है| प्रभावशाली रोकथाम के लिए, ऐट्राटाफ 50 डब्लयू पी 400 ग्राम प्रति एकड़ को 200 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई से 2-3 बाद स्प्रे करें| मिट्टी का तापमान और नदीनों को कम करने के लिए मलचिंग का तरीका भी प्रभावशाली सिद्ध हो सकता है|

सिंचाई

जलवायु और मिट्टी के आधार पर 8-10 दिनों के फासले पर सिंचाई करें|

पौधे की देखभाल

मक्की का छेदक
  • कीट और रोकथाम

मक्की का छेदक: यह कीट मुख्य तौर पर फसल के शुरुआती विकास के समय हमला करता है|
इसकी रोकथाम के लिए सेविन 50 डब्लयू पी (कार्बरील) 100-150 ग्राम प्रति एकड़ की स्प्रे करें|

फसल की कटाई

कटाई आमतौर पर बिजाई से 80-100 दिन बाद की जाती है| फसल के गुच्छे निकलने पर कटाई की जाती है| इस समय चारा ज्यादा देर तक हरा रहता है और पौष्टिक तत्वों से भरा होता है| सूखी फसल की कटाई धूप में कर ली जाती है|

कटाई के बाद

कटाई के बाद फसल को दबाया जाता है| फसल को हाथों से दबाया जाता है या फसल के ऊपर से ट्रैक्टर को चलाया जाता है| स्टोर करने से पहले सफेद दानों को अलग कर ले| इसके बाद चारे को बोरियों या किसी बंद जगह पर स्टोर कर लिया जाता है| मकचरी के दानों की औसतन पैदावार लगभग 5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|

रेफरेन्स

1.Punjab Agricultural University Ludhiana

2.Department of Agriculture

3.Indian Agricultural Research Instittute, New Delhi

4.Indian Institute of Wheat and Barley Research

5.Ministry of Agriculture & Farmers Welfare