खाद को लेकर जारी हुआ नया निर्देश, इसको जान किसानों की ख़ुशी होगी डबल!

January 21 2022

बिहार में इस वक़्त कई फसलों की बुवाई का समय नजदीक आ रहा है. ऐसे में  रासायनिक खाद खासकर यूरिया की मांग बढ़ने लगी है। मांग बढ़ने के साथ ही यूरिया की कालाबाजारी होनी शुरू हो जाती है और फिर इसकी निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत पर बिक्री जैसी शिकायतें रफ्तार पकड़नी शुरू हो जाती हैं। ऐसे में इससे छुटकारा पाने के लिए एक विशेष कदम उठाया गया है।

लागू हुई जीरो टॉलरेंस नीति

विभाग ने प्रदेश में इस विषय पर जीरो टॉलरेंस नीति के आदेश जारी किए हैं। बिहार के कृषि निदेशक द्वारा जारी आदेश में राज्य सरकार ने किसानों को Zero Tolerance Policy के तहत निर्धारित मूल्य पर ही खाद उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।

खाद में कालाबाजारी की क्या है वजह

बता दें कि गेहूं और सर्दियों में मक्का की बुवाई और आलू की खेती के दौरान किसानों को बड़ी मात्रा में डीएपी और एनपीके की जरूरत होती है। राज्य में डीएपी की भारी कमी की वजह से यह सब होता है

वहीं राज्य के किसानों से DAP और NPK की खरीद और उपयोग उनकी जरूरत के अनुसार ही करने की अपील की गयी है। साथ ही यह भी समझने की कोशिश की गयी है कि किसानों को एक-दूसरे की जरूरतों को समझना चाहिए और उन्हें रबी सीजन के लिए अपनी आवश्यकता के अनुसार उर्वरक खरीदना चाहिए।

खाद के कालाबाजारी पर हो सकती है कार्रवाई

इसके अतिरिक्त, आदेश में सभी उर्वरक आपूर्तिकर्ताओं और निर्माताओं को निर्देश दिया गया है कि, उर्वरकों को बिक्री केंद्र तक पहुंचाने की जिम्मेदारी आपूर्तिकर्ता कंपनी की होगी। गलत करने की स्थिति में या निर्धारित मूल्य से अधिक उर्वरक बेचने की शिकायत के मामले में संबंधित कंपनी के खिलाफ एफसीओ 1985 और ईसी अधिनियम के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। कृषि विभाग ने इस नीति का पालन करने के लिए पंचायत स्तर तक व्यवस्था की है और विभाग के अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की है।

क्या खत्म हो सकेगी खाद की किल्लत

बिहार में खरीफ सीजन आते ही अन्य खरीफ फसलों के साथ-साथ धान और प्याज की बुवाई भी तेज होनी शुरू हो जाती है। बता दें कि यूरिया एक नियंत्रित उर्वरक होने के कारण इसका वितरण केंद्र द्वारा निर्धारित किया जाता है।

वितरण व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है। वहीं खरीफ सीजन में बिहार में करीब 10 लाख टन यूरिया की खपत होने की उम्मीद है। इसी तरह इस सीजन में करीब 3.50 लाख टन डीएपी और 2 लाख टन एनपीके की खपत होने की संभावना जताई जा रही है।

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स्रोत: Krishi Jagran