पुरुषों ने की जी तोड़ मेहनत तो महिलाओं ने किया नवाचार, खेती के क्षेत्र में लहराया परचम

December 28 2021

कोरोना काल में जहां किसानों की फसल को अच्छे दाम नहीं मिल पाए। कई किसान संसाधनों की कमी के कारण भी ठीक से खेती नहीं कर पा रहे थे। वहीं जिले के किसान पूरी उम्मीद और ताकत के साथ काम किया और उत्पादन के सारे रिकार्ड तोड़ दिए। वहीं महिलाएं भी इस काम में पीछे नहीं रहीं। उन्होंने नवाचार किया और लाभ की खेती के नए रास्ते खोल दिए। जिले में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं ने आपदा के दौर में तुलसी की खेती करके अच्छी कमाई की है। समूह से जुड़ी महिलाएं इस औषधीय खेती करके के कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रही है।

महिलाओं ने इस तरह की लाभ की खेती

यह महिलाएं प्रति एकड़ से लगभग 38 हजार रुपये का मुनाफा ले रही हैं। महिलाओं ने तुलसी की खेती के महज 90 दिन में प्रति एकड़ 38 हजार 500 रुपये की कमाई की। वहीं अब ये महिलाएं एक और औषधि फसल अश्वगंधा बोने की तैयारी कर रही हैं। जिससे महिलाओं को एक एकड़ से 50 हजार रुपये तक मुनाफा होने के आसार है। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के संचालक दिनेश बर्फा का कहना है कि समूह की महिलाओं आपदा को अवसर में तब्दील करके कमाई के अच्छे मौके ईजाद किए हैं। जहां जिले के अन्य किसानों ने सोयाबीन की फसल उगाई वहीं इन महिलाओं ने तुलसी की खेती की। वहीं अब ये अश्वगंधा की उन्नात खेती की तैयारी कर रही हैं। समूह से जुड़ी इन महिलाओं ने तुलसी की खेती करने से पहले आइटीसी चौपाल सागर से इसका विधिवत प्रशिक्षण लिया। महिलाओं ने औषधीय पौधों की खेती कैसे करें, इससे अच्छी उपज कैसे लें और बाजार में कहां बेचे जैसे विषयों प्रशिक्षण में लिया। इसके चलते महिलाओं को उन जगहों का भ्रमण कराया गया जहां पहले तुलसी की खेती हो रही है। जहां से महिलाओं ने तुलसी की खेती करने तौर तरीके जाने। जिले के इछावर के रहने वाली समूह की दीदी अनीता बाई ने दो एकड़ खेत में तुलसी की खेती की है। यह फसल 90 दिन की अवधि की होती है। वहीं सूखा सहन करने में सक्षम होती है। एक एकड़ से तुलसी की 350 किलोग्राम की उपज प्राप्त होती है। जिसमें लागत लगभग 10 हजार तक होती है। वहीं तुलसी का बाजार मूल्य लगभग 110 रुपये प्रति किलोग्राम है। इस तरह एक एकड़ से 38 हजार 500 रुपये की कमाई होती है। वहीं अश्वगंधा का बाजार मूल्य 200 रुपये किलो है। जिससे प्रति एकड़ 50 हजार रुपये तक का मुनाफा होता है।

मेहनत के दम पर की रिकार्ड तोड़ पैदावार

सीहोर की पहचान यहां के शरबती से भी है। जो जो अपने स्वादिष्ट और सोने जैसे सुनहरे शरबती गेंहू को लेकर पूरे देश में अपनी विशिष्ट छवि रखने वाला मध्य प्रदेश का सीहोर जिला इस बार जानलेवा कोरोना कोविड - 19 की महामारी के बीच किसानों के अदम्य हौसलों और प्रयासों के चलते एक बार फिर गेहूं उत्पादन में नया रिकार्ड बनाया। यह रिकार्ड कोरोना के दौरान बनाया गया था। बीते साल सीहोर जिले में तीन लाख 90 हजार हैक्टेयर वर्ग क्षेत्रफल में रबी की बुबाई का लक्ष्‌य निर्धारित किया गया था। इसमें दो लाख 90 हजार हैक्टेयर में मुख्य फसल के रूप में गेहूं और सहायक फसल के रूप में चने की बुबाई 82 हजार हैक्टेयर क्षेत्रफल में की गई थी। कोरोना काल में गेंहू का उत्पादन 60 से 65 क्विंटल प्रति हैक्टेयर दर्ज किया गया है, जबकि जिले में गेहूं का औसत अनुपात 45 क्विंटल प्रति हैक्टेयर आंकलित है।

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स्रोत: Nai Dunia